जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के ग्राम पंतोरा में रंग-पंचमी के दिन ल_मार होली खेली गई। इसको स्थानीय भाषा में डंगाही होली भी कहा जाता है। जहां कुवांरी कन्याओं ने लोगों पर छडिय़ा बरसाया। कुवांरी कन्याओं से छडिय़ा खाने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे थे। मान्यताएं हैं कि छडिया खाने से कष्ट दूर होते हैं। जिला मुख्यालय से 45 किलो मीटर दूर बलौदा जनपद पंचायत क्षेत्र में पंतोरा गांव है। जहां रंग पंचमी के दिन ल_मार होली खेली जाती है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि बस्ती बसने के दौरान गांव में महमारी फैल गई थी। इस दौरान मां भवानी की पूजा अर्चना शुरू की थी। कोरबा जिले के मां मड़वारानी के जंगल से बांस की छड़ी को लाकर माता को समर्पित की गई थी, जिसके बाद हालात सुधरे थे। इस परंपरा को आगे विस्तार ले लिया और गांव के लोग जुड़ते गए। इस परंपरा को अब आगे बढ़ाया जा रहा है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। गांव का बैगा मां मड़वारानी के जंगलों में जाकर बांस की छडिय़ा लेकर आते हैं और उसे मां भवानी को समर्पित करते हैं। इस बार भी ऐसा ही किया गया। जहां मां भवानी की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। गांव में किसी प्रकार की महामारी न फैले सभी सुखी रहे यही कामना की गई। वहीं 9 कुवांरी कन्याओं को मंदिर के अंदर देवी के रूप में पूजा किया गया है, जिसके बाद उन्हें बांस की छडिय़ा दी गई। मां भवानी को स्पर्श कराती हैं। वहीं मंदिर के सभी देवी देवताओं पर छडिय़ा बरसाने की पुरानी परंपरा है। पूजा पाठ के बाद कुवांरी कन्या बाहर आती हैं। इसके बाद दूर-दूर से आए लोगों और गांव के लोगों पर जोर जोर से लाठियां बरसाई जाती है। लाठियां पडऩे के दौरान किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है।