जांजगीर चंापा। इसके चलते महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं में चिंता की लकीरें दिखाई दे रही है। सरकार बदलते ही पूर्ववर्ती सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं पर विराम लगते दिखाई दे रहा है। नरवा गरुवा घुरवा बारी में सन्नाटा पसरा हुआ है तो वहीं प्रत्येक ब्लाक के दो-दो ग्राम पंचायतों में दो-दो करोड़ रुपए की लागत से निर्मित रीपा शेड में भी ताला लगते जा रहा है। इसके चलते ग्रामीण अंचल के युवाओं व स्व सहायता समूह की महिलाओं को अजीविका के साधन उपलब्ध नहीं हो रहा है। खासकर करोड़ो रुपए की लागत से निर्मित रीपा गोदामों में अब तक ताला तक नहीं खुल पाया है। जब तक कांग्रेस की सरकार थी तब तक कुछ कुछ गतिविधियां संचालित होते आ रही थी, लेकिन जैसे ही सरकार बदली पूर्ववर्ती सरकार की सभी योजनाओं में कुंडली लगते दिखाई दे रही है। न तो दो करोड़ के शेड में ताला खुल रहा है और न ही गोबर पेंट की बिक्री हो रही है। वहीं गोबर खरीदी का भी बुरा हाल है। गावों में कितने की गोबर खरीदी हुई और गोबर आखिर है कहां इसकी भी जानकारी किसी को नहीं है। गोठानों में मवेशियों का पता नहीं है। सरकार के सभी फ्लैगशिप योजनाओं का बंटाधार होते नजर आ रहा है। इसे लेकर ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। यहां पर बड़ी विडंबना यह है कि ग्राम पंचायत सचिव ने बीते छह महीने के भीतर 30 से 32 लाख रुपए का आहरण कर लिया लेकिन उन्हें पता भी नहीं है कि आखिर कितने का भुगतान हुआ है। वहीं रीपा के तहत 2 करोड़ रुपए का शेड का भी निर्माण उसकी भी जानकारी नहीं है कि आखिर इस मद में भुगतान कैसे हो गया। 16 लाख का बनाया गोबर पेंट पर 5 लाख रुपए की आय गौरव ग्राम अफरीद में विश्वा महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष राजेश्वरी नागेश बताया कि रीपा शेड में गोबर पेंट का निर्माण किया। इन्होंने 16 लाख 39 हजार रुपए का गोबर पेंट का निर्माण किया, लेकिन उनके 16 लाख के गोबर पेंट में अब तक केवल 5 लाख 51 हजार रुपए की आय हुई है। शेष 11 लाख रुपए का गोबर पेंट शेड में ही धूल खाते पड़ी है। क्योंकि सरकार बदलते ही इनके द्वारा निर्मित पेंट की बिक्री ठप पड़ गई है। अब इन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि उनके बचे 11 लाख रुपए के पेंट की बिक्री होगी या नहीं, यदि पेंट की बिक्री नहीं हुई तो उन्हें बड़ा नुकसान होगा। गांव में विकास कार्य भी ठप गौरव ग्राम अफरीद में विकास के कार्य वर्तमान में ठप पड़ा है। बीते दो साल पंचों के विवाद के चलते विकास कार्य नहीं हो पाया। विकास की जो राशि आई थी उसका सरपंच सचिवों व पंचों ने बंदरबांट कर दिया। सरपंच के खिलाफ दो-दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाए थे, जिसके चलते यहां का विकास भी ठप है। सबकी नजर ग्राम पंचायत के विकास के लिए आई राशि तकरीबन 32 लाख पर नजर थी। सरपंच ने विश्वास मत जीता इसके बाद इतनी बड़ी राशि का आहरण भी कर लिया गया और पंच सरपंच व उनके प्रतिनिधियों ने आपस में बंदरबांट कर लिया। ग्रामीणों को विकास के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं मिल पाई। इसके चलते ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। रीपा में तीन शेड का निर्माण हुआ है। जिसमें दो शेड में महिला समूह संचालकों की आजीविका की गतिविधियां संचालित है। बाकी एक शेड में कोई काम करने को तैयार नहीं है। इसके चलते शेड बंद पड़ा है। -चिंता बाई भैना, सरपंच अफरीद विकास कार्य की जो राशि आई थी उसमें तकरीबन 10-12 लाख रुपए का आहरण हो चुका है। 30-32 लाख रुपए निकालकर हजम कर जाने का आरोप बेबुनियाद है। अभी भी बहुत से विकास कार्यों की राशि का भुगतान शेष है। – जयप्रकाश लहरे, सचिव ग्राम पंचायत अफरीद