मुंबई, १८ जुलाई [एजेंसी]।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक रूसी महिला की उस याचिका से निपटने में केंद्र सरकार के रवैए पर नाराजगी जाहिर की, जिसमें महिला ने अपने भारतीय पति से तलाक लेने के बाद देश छोडऩे के लिए जारी एक्जिट परमिट को चुनौती दी है। महिला ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसने एक अन्य भारतीय व्यक्ति से दूसरी शादी कर ली है और उसके साथ उसकी छह महीने की एक बेटी भी है। महिला का पूर्व की शादी से एक नाबालिग बेटा है।जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि एक महिला, जो अभी भी अपने शिशु को स्तनपान करा रही है, उसे उसकी राष्ट्रीयता के कारण अलग नहीं किया जाना चाहिए।पीठ ने कहा कि अधिकारियों को विशेष परिस्थितियों पर विचार करते हुए मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था।
पीठ ने यह भी कहा कि शासन का यह विचार कि सभी नागरिकों को संदिग्ध माना जाए, उचित नहीं है।बस सही व समझदार बनें और महिला और उसके बच्चे के लिए एक मानवीय दृष्टिकोण रखें। राष्ट्रीयताओं को इसके रास्ते में न आने दें। हम इन्हें एक मिनट के लिए भी अलग नहीं होने देंगे।खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को पूर्व में दी गई अंतरिम राहत को जारी रखते हुए केंद्र से अतिरिक्त हलफनामा मांगा है और मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तारीख तय की है। स्थानीय पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर जनवरी, साल 2023 में महिला (38 वर्षीय) को एक्जिट परमिट जारी किया था। उन्हें मार्च तक देश छोडऩे के लिए कहा गया था। इसके बाद महिला ने हाई कोर्ट का रुख लिया, जिसमें कोर्ट ने उनकी एक्जिट परमिट की अवधि बढ़ा दी थी। महिला की पहली शादी एक भारतीय नागरिक से हुई थी और उसने एक्स-1 वीजा व ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआइ) कार्ड हासिल किया। बाद में दंपती अलग हो गए और उन्होंने आपसी सहमति से तलाक ले लिया। इस शादी से उन्हें एक बेटा है। तलाक के बाद महिला ने दूसरे भारतीय से शादी कर ली है। उन्होंने अपनी दूसरी शादी के आधार पर ओसीआई दर्जा जारी रखने के लिए आवेदन किया था। याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक महिला ने पुलिस को एक्जिट परमिट की अवधि बढ़ाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।सोमवार को केंद्र की ओर से पेश वकील रुई रोड्रिग्स ने अदालत को बताया कि लागू आदेश वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार था और उन विशेष परिस्थितियों को दिखाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है जिनके द्वारा महिला नागरिकता के लिए आवेदन कर सकती है। हालांकि, पीठ ने ध्यान दिया कि तलाक लेने और दूसरी शादी करने के बाद वह अपना ओसीआई दर्जा जारी रखने के लिए नहीं कह रही है।अदालत ने कहा, क्या कोई भी सरकार अपने ही नागरिकों के साथ इसलिए ऐसा व्यवहार करेगी और उन्हें दंडित करने का फैसला करेगी कि उन्होंने विदेशी मूल या विदेशी व्यक्ति से शादी की है।ऐसा लगता है कि जैसे सरकार कह रही है कि आप किसी विदेशी से शादी करने की हिम्मत नहीं कर सकते। हम इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकते कि हमारे सामने छह महीने के बच्चे के साथ एक मां है। हम आपको इस परिवार को बर्बाद नहीं करने देंगे