जांजगीर-चांपा। अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता.. जय हो फिल्म का यह गाना आज के परिवेश में फीड बैठता है। क्योंकि कुर्सी का नशा ही कुछ ऐसा है, जिस पर बैठने के बाद नेताओं को ऐसा नशा चढ़ता है कि आम जनता की ज्वलंत समस्या सुनाई नहीं देती। यही वजह है कि देश भर में महंगाई के मुद्दों पर किसी की जुबान नहीं खुल रही है। अपाहिज हो चुके इस सिस्टम में आम लोगों की कमाई जहां दिन ब दिन स्थिर है, तो वहीं महंगाई बेतहाशा बढ़ गई है। इस पर नकेल कसकर आम लोगों को राहत पहुंचने की चिंता किसी भी जिम्मेदार नेताओं को नहीं है। आलम यह है कि अभी बाजार में महंगाई की आग भड़की हुई है। रोजमर्रा की चीजों पर बेतहाशा महंगाई होने के कारण आम आदमी का गुजर बसर करना मुश्किल हो गया है। बाजार में यदि हरी सब्जी की बात करें तो कोई भी सब्जी ऐसी नहीं है जो 100 रुपए किलो से कम हो। टमाटर जहां 120 रुपए चल रहा है तो वहीं अन्य सब्जियां भी सौ रुपए के करीब है। किराना सामान की बात करें तो दाल जहां 150 रुपए किलो बिक रही है तो वहीं मोटा चावल का भाव भी आसमान पर है। एचएमटी चावल 50 रुपए किलो से प्रारंभ हो रहा है। पेट्रोलियम पदार्थों में पहले ही आग लगी हुई है। ऐसे आलम में आम जनता की सुध लेने वाला कोई नहीं है। पक्ष-विपक्ष के नेताओं का आरोप-प्रत्यारोप पूरे शबाब पर है। ऐसी स्थिति में आखिर जनता का यही हस्र हो रहा है, अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता।