मनेन्द्रगढ़। वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए की जा रही प्रभावी पहल के चलते वनों के साथ-साथ उन पर आश्रित आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वानिकी विकास के जरिए समृद्ध किया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में पिछले एक साल में वनों की सुरक्षा और विकास के साथ-साथ वनों पर आश्रित वनवासियों के कल्याण की नई इबारत लिखी गई है।
उक्ताशय के विचार मनेन्द्रगढ़ वन मंडलाधिकारी मनीष कश्यप ने प्रेस से मिलिए कार्यक्रम के तहत चैनपुर स्थित पत्रकार भवन में व्यक्त किये। पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा की प्रदेश में वन-जन को समन्वित कर वानिकी में भागीदारी का अंश बढ़ाने के साथ ही जन की सक्रियता बढ़ाने के उद्देश्य से संयुक्त वन प्रबंधन की विचारधारा को सशक्त रूप से अपनाया गया है। संयुक्त वन प्रबंधन के लिए ग्राम वन, वन सुरक्षा और ईको विकास समितियाँ गठित हैं। इनके माध्यम से वन क्षेत्रों का प्रबंधन किया जा रहा है। जिले में मुख्य रूप से साल, शीशम, बाँस, महुआ तथा अन्य मिश्रित प्रजातियों के वृक्ष मौजूद हैं। यहां आदिवासियों की आजीविका का प्रमुख स्रोत महुआ है जिसके एक पेड़ से लगभग 10 हजार रूपयों की आय होती है। कुछ वर्षों से महुआ के नये पेड़ नही हो पा रहे थे जिसे देखते हुए वन मंडल द्वारा महुआ बचाओ अभियान चलाया गया जिसमें अधिक से अधिक संख्या में महुआ के नये पौधे लगाकर उनको ट्रीगार्ड के माध्यम से सुरक्षित किया गया है। कई वर्षों पूर्व ग्राम लाई में हसदेव नदी के तट पर विशाल चंदन के पौधों का रोपण किया गया था जो अब पूर्ण रूप से परिपक्व वृक्ष के रूप में तैयार हो गये है। चंदन के पेड़ों की मांग को देखते हुए प्रदेश के कई वनमंडल को मनेन्द्रगढ़ से पौधे भेजे गये है। प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि फसलों के साथ बाँस रोपण एक बेहतर विकल्प के रूप में लोकप्रिय हुआ है। इस वित्त वर्ष में किसानों ने बढ़ चढक़र बाँस रोपण किया जिस पर उन्हें अनुदान दिया गया। वनोपज की मांग और आपूर्ति के बढ़ते अन्तर को कम करने और किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए निजी भूमि पर वनीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। गैर वन क्षेत्रों में विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण किया गया है। आम लोगों को विभाग के माध्यम से भी पौधे उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की गई है। वनों की संवहनीयता बनाए रखने के लिए बिगड़े वनों का सुधार, वृक्षारोपण आदि कार्य किए जाते हैं। कार्ययोजना बनाकर नये वृक्षारोपण भी किये गए है जिसका बेहतर परिणाम आने वाले समय मे जरूर देखने को मिलेगा। प्रदेश में वनों की अवैध कटाई को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा प्रतिबद्धता से कार्य किया जा रहा है। बीट प्रभारी के अलावा परिक्षेत्र सहायक से लेकर वन मण्डलाधिकारी स्तर तक के अधिकारी रोस्टर अनुसार वनों के अवैध रूप से काटे वृ्क्षों की जाँच कर आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही करते हैं। अपराधियों से निपटने के लिए बन्दूक और रिवाल्वर उपलब्ध कराए गए हैं। सभी वन क्षेत्रों में उडऩ दस्ता दल गठित है, जो समय-समय पर स्थानीय अमले को अतिरिक्त सुरक्षा-सहायता प्रदान करता है।