कोरिया। भारत को ऋषि-मुनियों का देश कहा जाता है। ऐसे में हम आपको एक ऐसे दिव्य संत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कहानी सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। इनका नाम देवरहा बाबा है। देवरहा बाबा जाने माने सिद्ध पुरुष और एक कर्मठ योगी थे। देवरहा बाबा की उम्र के बारे में लोगों के बीच ऐसी मान्यता थी कि बाबा करीब 500 सालों तक जिंदा थे। हालांकि यह स्पष्ट रूप से यह कोई भी नहीं जानता था कि बाबा का जन्म कब हुआ। 19 जून 1990 के दिन अपना शरीर छोडऩे वाले देवरहा बाबा की चमत्कारी शक्ति को लेकर तरह-तरह की बातें कही-सुनी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि देवरहा बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हुआ था। बाबा लोगों के मन की बातें बिना बताए ही जान लेते थे। देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेने के लिए आमजन से लेकर नेता, उद्योगपति, फिल्मी सितारे और बड़े-बड़े अधिकारी उनके पास आते। स्वर्गीय महेंद्र प्रताप सिंह देव देवराहा बाबा के भक्तों थे विधायक एवं संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन अंबिका सिंह देव के द्वारा मंदिर परिसर में देवराहा बाबा का प्राकृतिक रूप से मचान बनाकर देवराहा बाबा की मूर्ति का स्थापना कराया गया है कहा जाता है कि देवरहा बाबा कभी भी एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए किसी भी तरह की गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया और न ही किसी ने सवारी से कहीं उन्हें जाते हुए देखा। भक्तों का तो ऐसा भी मनाना था कि बाबा पानी पर चलते थे। वह हर साल माघ मेले के समय प्रयाग आते थे। वहीं यमुना किनारे वृंदावन में वह आधे घंटे तक पानी में ही बिना सांस लिए रह लेते थे। देवरहा बाबा हमेशा एक ऊंचे लकड़ी से तैयार मचान पर बैठ कर लोगों को आशीर्वाद और प्रसाद दिया करते थे। अपने पास आने वाले सभी लोगों से बहुत प्यार से मिलते, प्रसाद और आशीर्वाद देकर विदा करते। ऐसा माना जाता था कि मचान पर कोई प्रसाद नहीं रखा होता था फिर भी बाबा लोगों के हाथों में प्रसाद देते थे। देवरहा बाबा न सिर्फ मनुष्यों के मन की बात जानते थे बल्कि वे जानवरों की भाषा और बोली को भी समझ जाते थे। वे जंगली जानवरों को अपने वश में कर लेते थे। प्रेमाबाग परिसर देवराहा बाबा सेवा समिति के नाम से ही जाना जाता है ऐसा मानना है कि मन से समर्पित भाव से पूजा अर्चना करने पर देवराहा बाबा के दरबार से कोई भी आदमी खाली हाथ नहीं जाता उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।