
कोरबा। भागवताचार्य पं. दशरथनंदन द्विवेदी ने कहा है कि महाकुंभ से लोगों की आस्था का पता चला है साथ ही विश्व बंधुत्व की भावना में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ, विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है। सनातन संस्कृति की आस्था का सबसे बड़ा और सर्वोत्तम पर्व महाकुंभ न केवल भारत अपितु संपूर्ण विश्व में सुविख्यात है। यह एकमात्र ऐसा महापर्व है जिसमें सम्पूर्ण विश्व से श्रद्धालु भक्त कुम्भस्थल पर आकर भारत की समन्वित संस्कृति, विश्व बंधुत्व की सद्भावना और जनसामान्य की अपार आस्था का अनुभव करते हैं। वैभव और वैराग्य के मध्य आस्था के इस महाकुम्भ में सनातन समाज नदी के पावन प्रवाह में अपने समस्त विभेदों, विवादों ओैर मतांतरो को विसर्जित कर देता है। इस मेले में मोक्ष व मुक्ति की कामना के साथ ही तन,मन तथा बुद्धि के सभी दोषों की निवृत्ति के लिए करोड़ों श्रद्धालु अमृत धारा में डुबकी लगाते हैं। महाकुंभ में योग, ध्यान और मंत्रोच्चार से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है। महाकुंभ में समस्त अखाड़े प्रतिभाग करते हैं उनमें से प्रत्येक की महिमा, इतिहास व परम्पराएं अदभुत हैं।