जांजगीर चंपा। शहर में एकमात्र स्नेकमैन हैं, जो सांपों के मित्र हैं। उनके संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। लोग इन्हें शहर में लोग स्नेकमैन कहते हैं। किसी के घर या अन्य जगह पर सांप निकलता है तो एक सूचना पर पहुंच जाते हैं। उन्हें पकड़कर जंगल में छोड़ देते हैं। लोगों से सांप को नहीं मारने की अपील करते हैं। बरसात आने के बाद शहर में ही नपा सीएमओ, कलेक्टर सहित अन्य जगह से माह भर में 50 से 60 जहरीले सांप पकड़कर जंगल छोड़ चुके हैं। शहर के संपन्न व्यक्ति अनुराग शुक्ला (टिंकू) को लोग सांपों का मित्र कहते हैं। उन्हें सांप पकडऩा व उसको पकड़कर जंगल छोडऩा शौक है। बीते दो साल में वे 100 से अधिक विषैले सांपों को पकड़ चुके हैं। इनमें कोबरा, करैत, गेहुंअन जैसी विषैली प्रजाति के सांप शामिल हैं। सांप पकडऩे के लिए उन्हें जांजगीर-चांपा सहित आसपास गांव तक से बुलाया जाता है। वह कहते हैं कि शुरूआत में कई लोग सांप को मार दे रहे थे। इस दौरान लोगों को सांप को नहीं मारने के लिए बोला गया तो वे बोलने लगे की इतना दया आ रहा है तो आप ही निकाल कर ले जाओ। एक दिन में बस्ती में दादू राठौर के घर गया तो वे भी बोला कि इतना दया आ रहा है तो सभी सांप को निकाल तो, फिर एक-एक करके चार से पांच सांप को पहली बार निकाला। इसमें सभी जहरीले थे। इसके बाद कई लोगों को जानकारी हुआ तो वे लोग बुलाने लगे। फिर इसके बाद विचार आया कि सांप से कैसे लोगों की रक्षा होगी और सांपों को भी कैसे सुरक्षित रखा जा सकेगा। फिर निकल पड़ा इस अभियान में। हालांकि उन्हें इस बात का मलाल है कि वन विभाग की ओर से उन्हें इसके लिए किसी भी स्तर पर कोई मदद नहीं मिलती। इस काम के लिए अनुराग निशुल्क करते हैं। इसके लिए किसी से एक रुपए भी नहीं लेते हैं। पहले इस अभियान में अकेले थे। अब आशीष कहरा, भोला राठौर, शिवा तिवारी, धन्नू, सोनू राठौर भी सहयोग करते हैं। स्नेकमैन टिंकू शुक्ला ने बताया कि अभी हर रोज शहर में कहीं न कही जहरीला सांप निकल रहा है। एक दिन पहले ही बुधवार को शहर में पांच कोबरा सांप का रेक्स्यू किया गया। इसके अलावा दो दिन पहले अहिराज सांप भी एक घर से कपड़ा था। सभी को पकड़कर जंगल में छोड़ देते है। गुरुवार को अलग-अलग पांच जगह से अहिराज, कोबरा व धमना सांप को पकड़ा। इस तरह अनुराग शुक्ला लोगों के साथ-साथ सांपों का भी जीवन बचा रहे हैं। साथ ही लोगों को सांप को नहीं मारने की लगातार समझाइश भी देते रहते हैं। परिवार में झेलना पड़ा विरोध अनुराग शुक्ला को परिवार में माता-पिता के अलावा पत्नी इनके इस काम का विरोध करते हैं। वजह यह कि एक तो सांपों को पकडऩे में जान का खतरा है और साथ ही कभी रात को 12 बजे तो कभी एक फोन किया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि अनुराग को कहीं से कोई सहयोग भी नहीं मिलता नहीं है। फिर भी एक फोन पर तत्काल वे पहुंचकर रेक्स्यू कर देते हैं। साथ ही जंगल की ओर छोडऩे भी जाते हैं। सांपों के लिए मसीहा से कम नहीं अनुराग अनुराग सांपों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं। वे अब तक दो हजार से ज्यादा सांप को पकड़कर जंगल में छोड़ चुके हैं। इसके अलावा कभी सांप घायल या चोट लग जाता है तो उसका इलाज भी अनुराग द्वारा कराया जाता है। दो दिन पहले ही चोट लगने के लिए एक अजगर सांप को पकड़कर डॉक्टर के पास ले गए थे। उनका इलाज कराया गया, फिर ठीक होने के बाद जंगल में छोड़ा गया। इसी तरह कई सांपों का इलाज भी स्नेकमैन करा चुका है।