महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त महाराज ने की अध्यक्षता कार्यक्रम की
जांजगीर चांपा। संसार में आप चलते- फिरते रहें तो दुर्जनों से मुलाकात तो होते ही रहती है किंतु जब सज्जनों भेंट -मुलाकात हो जाए तो संकट दूर हो जाते हैं यह बातें केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल के निदेशक डॉक्टर रमाकांत पांडे ने शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला संस्कृत विद्यापीठ राजिम में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अभिव्यक्त की। उन्होंने कहा कि- ये जो संत हैं संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए ही होते हैं?। अपने जीवन की घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि -बचपन में मेरी मां मुझे संस्कृत पढ़ाना चाहती थी लेकिन जब मैं 5 वर्ष का था उनकी देहावसान हो गया। पिताजी ने मुझे साइंस पढ़ाना चाहा और स्कूल में भर्ती कर दिया। मैंने अपना नाम संस्कृत विद्यालय में दाखिल कराया। मेरे सांथी जो साइंस के विद्यार्थी थे आज वे साइकल दुकानों में पंचर बना रहे हैं लेकिन उदाहरण के तौर पर मैं आप लोगों के समक्ष उपस्थि हूं। आप पढि़ए और आगे बढिय़े। संस्कृत समस्त संस्कृति की जननी है, सनातन धर्म ही वैश्विक धर्म है। *जीवन में धन संपत्ति चाहे कितनी हो जाए! शांति तो संस्कृति से ही आती हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि- संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने के लिए भारत वर्ष के मूर्धन्य विद्वान डॉक्टर पांडे जी का आगमन हम सभी के बीच में हुआ है वे देश के कोने -कोने में पहुंचकर संस्कृत भाषा को समृद्ध करने में लगे हुए हैं। इसके पूर्व संस्कृत विद्यापीठ राजिम के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि -मुझे इस अवसर की कल्पना नहीं थी। सुबह पूजा अर्चना कर रहा था अचानक महन्त जी का फोन आया। मैंने सोंचा आज कुछ अच्छा होने वाला है। भारतवर्ष के इतने बड़े विद्वान का इस विद्यालय में अचानक आगमन हुआ यह परम सौभाग्य की बात है। अतिथि का सम्मान साल श्री फल भेंट करके किया गया। आचार्य चूड़ामणि पांडे ने आभार व्यक्त की। इस अवसर पर भगवान राजीव लोचन मंदिर राजिम के पुजारी ठाकुर चंद्रभान सिंह, प्रबंधक पुरुषोत्तम मिश्रा तथा मुख्तियार सुखराम दास, राजेश शास्त्री, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव सहित अनेक गणमान्य नागरिक गण उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर पांडे जी ने भगवान राजीव लोचन,कुलेश्वरनाथ महादेव एवं चंदखुरी में कौशल्या मंदिर पहुंचकर राजेश्री महन्त जी महाराज के साथ दर्शन- पूजन किया।