नईदिल्ली, १४ जुलाई [एजेंसी]। समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग को अब तक ऑनलाइन तरीके से 50 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं। सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि आनलाइन सलाह के अलावा आयोग को ऑफलाइन तरीके से भी सुझाव मिले हैं। सुझावों की अंतिम संख्या बहुत अधिक होगी। सुझाव भेजने की समय सीमा शुक्रवार को समाप्त हो रही है।कुछ संगठनों ने समान नागरिक संहिता पर व्यक्तिगत सुनवाई की मांग करते हुए आयोग से संपर्क किया है। आयोग प्रतिक्रियाओं की जांच कर संगठनों को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए आमंत्रित करने पर निर्णय लेगा। 14 जून को विधि आयोग ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से विचार मांगकर समान नागरिक संहिता पर परामर्श प्रक्रिया शुरू की थी।समान नागरिक संहिता का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून। उत्तराखंड आने वाले दिनों में समान नागरिक संहिता लागू करने जा रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को समान नागरिक संहिता का विरोध किया। मुख्यमंत्री ने विधि आयोग के अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में कहा कि हमारे समाज में मौजूद सामाजिक-आर्थिक असमानताओं पर विचार किए बिना समान नागरिक संहिता लागू करने के प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं।समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग द्वारा मांगे गए सुझाव के जवाब में अखिल भारतीय अधिवक्ता संघ (एआईएलयू) ने कहा कि इस स्तर पर समान नागरिक संहिता लागू करना न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय। एआईएलयू के महासचिव पीवी सुरेंद्रनाथ ने कहा कि विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं का एकरूपीकरण धर्मनिरपेक्षता नहीं है। यह धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्र की एकता के प्रतिकूल है।असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को कहा कि असम सरकार पहले ही संबंधित अधिकारियों को बता चुकी है कि वह समान नागरिक संहिता के समर्थन में है। राज्य सरकार बहुविवाह पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहती है। समान नागरिक संहिता में विभिन्न मुद्दे शामिल हैं। विधि आयोग के साथ-साथ संसदीय समिति भी इसे देख रही है। असम सरकार पहले ही बता चुकी है कि वह उसके समर्थन में है। इस पर निर्णय लंबित होने तक हम बहुविवाह पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। हम सितंबर में अगले विधानसभा सत्र में इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधेयक पेश करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार किसी कारण से विधेयक पेश करने में असमर्थ रहती है तो यह विधेयक जनवरी में पेश किया जाएगा। हालांकि, इस बीच अगर समान नागरिक संहिता लागू होता है, तो हमें यह कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यि मामला समान नागरिक संहिता में शामिल होगा।