सीताराम नायक
जांजगीर-चांपा। जिला पंचायत जांजगीर-चांपा में सहायक संचालक, डीपीआरसी के प्रभारी पद पर पदस्थ दिग्विजय दास महंत के कार्यों से यहां के केवल कर्मचारी ही नहीं बल्कि ठेकेदार,सप्लायर वर्ग भी भारी परेशान है जिनके कार्य प्रणाली से लोगों का काम समय पर नहीं हो रहा है, जो मनमाने तरीके से कार्य कर फाइलों को अन्यत्र दबाकर रख देते हैं जिसके कारण ठेकेदारों का काम समय पर नहीं होता है। बताया जाता है कि दिग्विजय दास महंत मुख्य रूप से कांग्रेसी विचारधारा के व्यक्ति हैं और उनके द्वारा जिला पंचायत कार्यालय में कांग्रेस मानसिकता के साथ कार्य किया जाता है। उनके द्वारा यहां आए हुए कांग्रेसी लोगों को ही अधिक महत्व प्रदान किया जाता है। तथा उनके ही कार्यों को महत्व देते हैं। वही जब कभी भाजपा के नेता, ठेकेदार यहां गमछा लगा कर यहां आते हैं तो वे उनसे नाराज हो जाते हैं। उनका कार्य कभी भी समय पर नहीं किया जाता। बल्कि प्रत्येक कार्यों के लिए दिग्विजय सिंह महंत द्वारा रुपए की मांग की जाने की बातें कही जाती है। बिना रूपए के उनके द्वारा कोई कार्य संपादन नहीं किया जाता ऐसा जिला पंचायत में सर्वत्र चर्चा। अभी हाल ही में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का स्थानांतरण हो जाने के कारण जिला पंचायत में कार्यरत अनेक ठेकेदार अपनी फाइलों का निराकरण समय पर कराने के लिए लगे रहे हैं परंतु जो फाइल सहायक संचालक दिग्विजय के पास है उनमें से अधिकतर फाइल उनके द्वारा छुपा दिया गया है और लोगों का काम समय पर नहीं किया जा रहा है। कई ठेकेदार ऐसे हैं जो जिला पंचायत के अंतर्गत सामान आपूर्ति के अलावा अन्य निर्माण कार्य विभिन्न क्षेत्रों में किए हैं उनका भुगतान वे समय पर करा लेना चाहते हैं क्योंकि मुख्य कार्यपालन अधिकारी का स्थानांतरण हो जाने से आगे फाइलों के निपटारे में परेशानी आ सकती है वहीं नए अधिकारी को समझने में देर लगती है। वर्तमान में सहायक संचालक के क्रिया कलाप के कारण समय पर भुगतान नहीं हो पाया और ना ही समय पर फाइलों का निष्पादन हो पाया है,ऐसे में जिला पंचायत में काम करने वाले अनेक ठेकेदार पूरी तरह से उक्त अधिकारी की हरकतों के कारण फस गए हैं। जिनका भुगतान समय पर नहीं हो पा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सूत्रों का कहना है कि उक्त अधिकारी प्रत्येक फाइलों के निपटारे के बदले लोगों से खुले तौर पर रुपए की मांग करते हैं और जो लोग उनकी मनचाहा रकम नहीं देते उनकी फाइलें वे गायब कर देते हैं तथा अनेक बहाने बनाकर हमेशा टाल मटोल करते रहते हैं नतीजा यह हो गया है कि भाजपा शासन में लोगों का काम सही तरीके से जिला पंचायत में नहीं हो रहा है। विशेष कर उक्त अधिकारी के शाखा में यह रवैया अधिक है जिसके कारण ठेकेदार एवं सप्लायर लाखों रुपए लगाकर भुगतान के लिए भटक रहे हैं। सहायक संचालक दिग्विजय दास महंत के कार्यप्रणाली के किस्से यही तक सीमित नहीं है बल्कि उनके द्वारा कर्मचारियों को भी परेशान किए जाने का मामला सामने आया है। जिनके घरों में तीन-तीन कर्मचारी काम कर रहे हैं जिनका 1 साल का भुगतान उनके द्वारा रोक दिए जाने की बातें सामने आ रही है। जिसका जांच कराया जाना आवश्यक है। बताया जाता है कि कर्मचारी रानी राजपूत, संतोष सहिस तथा बलीराम यह तीनों कर्मचारी सहायक संचालक उनके के यहां कार्य करते हैं जिनका 1 साल का वेतन भी इनके द्वारा रोक दिया गया है तथा उनके साथ बहुत ही खराब व्यवहार किया जाता है उनके इस खराब व्यवहार के कारण कर्मचारी लोग भी भारी परेशान हैं जो उनके यहां रहकर छुटकारा पाने के लिए तड़प रहे हैं,किंतु उच्च अधिकारियों की नजरे छोटे कर्मचारियों की पीड़ा को नहीं देख पा रही है जो दुख का विषय है। बहरहाल सहायक संचालक पंचायत एवं डीपीआरसी प्रभारी दिग्विजय दास महंत के समस्त कार्यकाल की जांच जरूरी है। तथा उनके द्वारा अर्जित की गई संपत्तियों की जांच भी आवश्यक है ताकि जांच से पता चल सके कि उक्त संपत्ति को अर्जित करने के लिए किस हद तक उक्त अधिकारी द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया गया है। सहायक संचालक के संपत्तियों की जांच तथा उनके फाइलों की जांच अगर सूक्ष्म रूप से की जाती है तो निश्चित तौर से भ्रष्टाचार की जड़े जिला पंचायत से काटी जा सकती है।