कोरिया। सावन भगवान शिव का प्रिय महीना माना गया है। वहीं शास्त्रों में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय बताए गए हैं। वहीं शिव पुराण के अनुसार सावन के महीने में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि विधिपूर्वक रुद्राभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ शिव प्रसन्न होते हैं। जिले में सावन मास में भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए कई आध्यात्मिक अनुष्ठान किया जा रहे हैं। सलका निवासी पुष्पराज तिवारी एवं उनके परिवार के द्वारा शिव रुद्राभिषेक कराया गया। इस दौरान भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई इसके बाद शिवजी पर कच्चा दूध चढ़ाया गया अभिषेक के दौरान लगातार ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप किया गया। उसके बाद विधि विधान से शिवलिंग का अभिषेक कर मंत्र जाप और पूजा अर्चना और प्रसाद वितरण किया गया। देवाधिदेव महादेव को सभी माह में सावन का माह अतिप्रिय और मनभावन है। इस साल सावन की शुरुआत 4 जुलाई से होकर 31 अगस्त तक रहेगा। सावन में शिवजी की अराधना करना किसी वरदान से काम नहीं हैं। वहीं सावन में शिवजी अराधना तो भक्तों के लिए कल्पवृक्ष समान है। लेकिन सावन माह में रुद्राभिषेक और रूद्री पाठ करना बहुत ही फलदायी माना जाता है। देवों के देव महादेव जब प्रसन्न होते हैं तो तांडव करते हैं और जब वे रूष्ट हो जाते हैं तो अपना तीसरा नेत्र खोल देते हैं। शिव नटराज हैं और अर्धनारीश्वर भी। जैसे महादेव है वैसा कोई अन्य देव नहीं। इसीलिए वे महादेव देवों के देव हैं। महादेव वैरागी हैं और सन्यासी भी हैं। सभी देवी-देवताओं की पूजा भले ही कठिन हो लेकिन महादेव तो केवल जल अर्पण और पंचाक्षर मंत्र ‘नम:शिवाय’ से ही प्रसन्न हो जाते हैं। भक्तों के लिए तो देवों के देव महादेव को कल्पतरू के समान कहा गया हैं। जैसे स्वर्ग में कल्पतरू वृक्ष के नीचे बैठने से हर कामना की पूर्ति हो जाती है, ठीक वैसे ही महादेव को भक्ति से प्रसन्न कर लेने पर भक्तों की कामनाएं पूरी हो जाती है। महादेव की भक्ति से दूर हो जाते हैं जन्मों के पाप महादेव की अराधना भक्तों को जन्मों जन्मों के पापों से मुक्ति देने वाले हैं। इसलिए कहा गया है कि ‘कुमकुमचंदन लेपित लिंगम, पंकजहार सुशोभित लिंगम। संचित पाप विनाशक लिंगम, तत्प्रणमामी सदाशिव लिंगम।।’ यानी भक्ति से प्रसन्न होने पर शिव भक्तों के जन्मों जन्मों के संचित पापों का नाश कर देते हैं।