नईदिल्ली, १० दिसम्बर ।
देशभर के विश्वविद्यालयों के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए होने वाली परीक्षा कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) में अगले वर्ष बदलाव किए जाएंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सीयूईटी-यूजी और पीजी की समीक्षा के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा, पिछले वर्षों के फीडबैक के आधार पर परीक्षा प्रक्रिया में लगातार सुधार करना आवश्यक है। यूजीसी ने 2025 के लिए सीयूईटी -यूजी और पीजी के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया। यूजीसी अध्यक्ष ने कहा, समिति ने प्रश्नपत्रों की संख्या, परीक्षा की अवधि, पाठ्यक्रम समेत परीक्षा के विभिन्न पहलुओं की जांच की है। आयोग ने हालिया बैठक में इन सिफारिशों पर विचार किया। यूजीसी जल्द ही मसौदा प्रस्ताव जारी करेगा। इसमें सीयूईटी-यूजी और सीयूईटी-पीजी 2025 के संचालन के लिए संशोधित दिशानिर्देशों का विवरण होगा। इसे लेकर छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और संस्थानों से प्रतिक्रिया और सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। यूजीसी प्रमुख सोमवार को ने सीयूईटी-यूजी 2025 में संभावित बदलावों पर चर्चा करने के लिए सीयूईटी-यूजी 2024 में उत्तीर्ण होने वाले विभिन्न डिग्री कालेजों के छात्रों के साथ बातचीत की। सीयूईटी ने विभिन्न शैक्षिक बोर्डों और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए समान अवसर प्रदान किया है। सीयूईटी की शुरुआत वर्ष 2022 में हुई थी। पिछले साल, 283 विश्वविद्यालयों ने सीयूईटी को अपनाया। पंजीकृत उम्मीदवारों की संख्या 13,47,820 थी। सीयूईटी ने प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया है।वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने क्लैट-पीजी 2025 के परिणामों को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। स्नातकोत्तर (पीजी)पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए कामन ला एडमिशन टेस्ट (क्लैट) की अनंतिम उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को अपनी शिकायतों के साथ दिल्ली हाई कोर्ट जाने की सलाह दी।
अनम खान और आयुष अग्रवाल द्वारा दायर याचिका में एक दिसंबर, 2024 को आयोजित क्लैट-पीजी 2025 परीक्षा के संचालन के संबंध में कई शिकायतें की गईं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि दो दिसंबर को जारी अनंतिम उत्तर कुंजी में 12 प्रश्नों के गलत उत्तर सहित महत्वपूर्ण त्रुटियां थीं। याचिका में उत्तर कुंजी को चुनौती देने की प्रक्रिया पर भी आपत्ति जताई गई है। कहा आपत्तियों के लिए एक दिन की समय-सीमा, जो तीन दिसंबर को शाम चार बजे बंद हो गई थी, अपर्याप्त थी।उन्होंने प्रति आपत्ति एक हजार रुपये के शुल्क का भी विरोध किया। हालांकि, प्रधान न्यायाधीश ने शुल्क से संबंधित आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि प्रति आपत्ति एक हजार रुपये कोई बड़ी बात नहीं है। याचिका में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया को स्थगित करने का भी अनुरोध किया गया।