जांजगीर-चांपा। लोक आस्था का महा पर्व छठ पूजा मंगलवार 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हुआ। पहले दिन व्रतियों ने सुबह के समय स्नान कर चावल, दाल और लौकी की सब्जी का सेवन किया। वहीं दूसरे दिन खरना पूजा हुई। गुरूवार 7 नवंबर को डूबते सूरज को पहला अघ्र्य दिया जाएगा।
महापर्व छठ पूजा में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। सूर्य को समर्पित छठ पूजा का त्योहार बेहद स्वच्छता, नियम और विधि-विधान के सांथ मनाया जाता है। ये पूजा पुरुष और खी दोनों समान रूप से करते है। चार दिनों की छठ पूजा का त्योहार दीपावली के बाद शुरु होता है। छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और सप्तमी को अरुण वेला में इस व्रत का समापन होता है। इस बार मंगलवार 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ व्रत प्रारंभ हुआ। पहले दिन व्रतियों ने चावल, दाल और लौकी का आहार ग्रहण किया। दूसरे दिन बुधवार 6 नवंबर को खरना पूजा किया गया। इस दिन सायं काल के समय पूरी आत्मशुद्धता से गुड़-दूध की खीर और पूड़ी बनाकर छठ माता को भोग लगाया गया। तीसरे दिन गुरूवार 7 नवंबर को उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। साथ में विशेष प्रकार का पकवान ठेकुवा और मौसमी फल चढाएं जाएंगे। अघ्र्य दूध और जल से दिया जाता है। पर्व के चौथे एवं अंतिम दिन शुक्रवार 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। इधर पर्व को लेकर छठ घाटों की साफ- सफाई के साथ आकर्षक लाइट से सजाया गया है।
सूर्य आराधना का पर्व है छठ पूजा
परिवार की सुख समृद्धि संतान की दीर्घायु एवं रोग मुक्त जीवन के लिए मनाया जाने वाला चार दिवसीय छठ महापर्व मंगलवार 5 नवंबर से प्रारंभ हो गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है। वहीं सूर्य देव की बहन है छठ मैया को संतान की रक्षा करने वाली और संतान सुख देने वाली देवी के रूप में शास्त्रों में बताया गया है, जबकि सूर्य देव संपन्नता के देवता है। इसलिए छठ पूजा का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन चांपा जांजगीर सहित अन्य क्षेत्रों में निवासरत भोजपुरी समाज के लोगों के द्वारा सूर्य देवता की पूजा अर्चना विधि विधान से की जाती है। छठ पूजा का समापन शुक्रवार 8 नवंबर को होगा। तीसरे दिन गुरूवार 7 नवंबर को उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अध्य दिया जाएगा। साथ में विशेष प्रकार का पकवान ठेकुवा और मौसमी फल चढाएं जाएंगे। अघ्र्य दूध और जल से दिया जाता है। पर्व के चौथे एवं अंतिम दिन शुक्रवार 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। इधर पर्व को लेकर छठ घाटों की साफ-सफाई के साथ आकर्षक लाइट से सजाया गया है।