जांजगीर । पर्यावरण संरक्षण के लिए वन विभाग लगातार विभिन्न योजनाओं के तहत पौधरोपण कर रहा है। विभाग की मानें तो हर साल हजारों पौधे लगाए जाते हैं। लेकिन जहां-जहां उसने पौधे लगाए हैं, वहां पौधे नहीं हैं। कई जगह तो ऐसी है जहां पौधरोपण के कारण हरियाली दिख रही है, लेकिन वहां तो पूरी जमीन बंजर दिख रही है।
ऐसा ही कुछ क्रोक्रोडायल पार्क के पीछे 12 एकड़ जमीन में लगाए गए फलदार व छायादार पौधे का हाल है। यहां गिनती के पौधे दिख रहे है, बाकी जमीन खाली पड़ी है। धांधली छुपाने के लिए वन विभाग गलत दावे भी कर रही है।
वन विभाग ने वर्ष 2015.16 में कोटमीसोनार में क्रोकोडायल पार्क के पीछे की खाली पड़ी 10 से 12 एकड़ जमीन पर 3150 से अधिक पौधे रोपे गए थे। इस पर 21 लाख रुपए खर्च किए। वन विभाग ने पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी ली लेकिन किसी ने कर्तव्य का पालन नहीं किया। नतीजा हुआ कि आज इस भूमि पर गिनती के दर्जन भर बचे हंै। बाकी पूरी जमीन खाली है। यहां लगा पौधरोपण का बोर्ड इस अभियान को मुंह चिढ़ा रहा है। कागजों में यह सब बहुत सुहावना नजर आता है लेकिन पौधरोपण की हकीकत कुछ और ही है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण कोटमीसोनार में क्रोकोडायल पार्क के पीछे 10 से 12 एकड़ की खाली भूमि है। यहां मगर परियोजना योजना (बफर जोन) के तहत वर्ष 2015.16 में 10 एकड़ शासन की खाली भूमि पर वन विभाग बलौदा रेंज की ओर से 3150 पौधों का रोपण किया गया। वन विभाग ने पौधरोपण के लिए भूमि उपलब्ध कराकर वाहवाही लूटी और खुद को पर्यावरण का हितैषी घोषित किया। यदि पौधे बड़े हो जाते तो यहां जंगल बन चुका होता, लेकिन आज पूरी भूमि पर एक भी पौधा नहीं है। खाली भूमि पर गर्मी में गांव के युवा क्रिकेट खेलते हैं जबकि बारिश होने के बाद पूरा इलाका हरी घास का मैदान बन जाती है। इसमें मवेशी आराम फरमा रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि लाखों रुपये खर्च कर लगाए गए पौधे कहां गए। यहां वन विभाग की ओर से पौधरोपण के संबंध में लगाया गया बोर्ड पूरी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है।
पौधरोपण के नाम पर चलता है हरियाली का खेल
प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यधिक संवेदनशील है। यही कारण है कि प्रतिवर्ष पौधरोपण का नया रिकार्ड बन रहा है। लेकिन यह केवल कागजों तक सीमित रह गया है। हर साल पौधरोपण के नाम पर जिला प्रशासन, शिक्षा, जिला पंचायत, नगर निकाय, ग्राम पंचायत सहित अन्य विभागों द्वारा किया जाता है। लेकिन यह केवल कागजों तक सीमित है। पौधरोपण के बाद उसे भूल जाते हैं और पौधे ठूंठ में तब्दील हो जाता है या मैदान ही खाली हो जाता है। हर साल लगाए हजारों पौधे से आज जंगल और बढ़ जाता, लेकिन जिले में लगातार जंगल सिमटता जा रहा है। इस तरह हर साल सरकार की लाखों रुपए को हरियाली के नाम पर पैसे की बंदरबाट किया जा रहा है।
वन संभालने की जिम्मेदारी वहीं बरत रहे लापरवाही
वन संभालने की जिम्मेदार वन विभाग की है, लेकिन वहीं हरियाली के नाम पर गंभीर लापरवाही बरत रहे है। इसी कारण जंगल लगातार जिले में सिकुड़ रहा है। मगर परियोजना के तहत कोटमीसोनार में क्रोकोडायल पार्क के पास हजारों पौधे रोपण किया गया था। इस पौधे को कम से कम पांच साल तक देखभाल करना था। इसके लिए हजारों रुपए खर्च कर फेसिंग तार भी चारों ओर लगाया गया था। लेकिन देखरेख के अभाव में फेसिंग तार का अता पता नहीं और पौधे भी नष्ट हो गए। जबकि क्रोकोडायल पार्क में ही दर्जन भर कर्मचारी तैनात हैं।