लखनऊ, ०१ जुलाई [एजेंसी]। आदिपुरुष फिल्म विवाद मामले में 28 जून को हुई सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को आदेश पारित कर दिया। न्यायालय ने फिल्म के निर्देशक ओम राउत, निर्माता भूषण कुमार और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर उर्फ मनोज शुक्ला को 27 जुलाई को अगली सुनवाई पर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होने का आदेश दिया है। इसी के साथ न्यायालय ने केंद्र सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर पांच सदस्यीय कमेटी बनाकर फिल्म से संबंधित सभी शिकायतों को सुनकर 15 दिनों में रिपोर्ट तैयार करने का भी आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, हमें यह कहते हुए बहुत कष्ट हो रहा है कि रामायण के चरित्रों को बहुत ही शर्मनाक तरीके से फिल्म में प्रदर्शित किया गया है। यह कोई पहली फिल्म नहीं है जिसमें हिंदू देवी-देवताओं का गलत तरीके से चित्रण किया गया हो। यदि इस प्रकार के गैरकानूनी व अनैतिक कृत्य को ना देखा गया तो आगे और भी संवेदनशील विषयों के साथ छेड़छाड़ की जाएगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान व न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने कुलदीप तिवारी व नवीन धवन की ओर से दाखिल दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। अपने आदेश में न्यायालय ने फिर से दोहराया है कि फिल्म के निर्माता व संवाद लेखक ने एक बार भी जन भावनाओं का ख्याल नहीं किया। न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में सेंसर बोर्ड ने अपना दायित्व ठीक तरीके से नहीं निभाया है और न ही सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने अपनी विधिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए कोई उचित कार्रवाई अब तक की है।न्यायालय ने अपने आदेश में मंत्रालय को पांच सदस्यीय कमेटी बनाकर फिल्म को पुन: देखने का आदेश भी दिया। यह भी स्पष्ट किया है कि इस कमेटी में दो सदस्य ऐसे रखे जाएं जिन्हें वाल्मीकि रामायण व तुलसीकृत रामचरितमानस और दूसरे संबंधित धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान हो।न्यायालय ने कमेटी की रिपोर्ट अगली सुनवाई पर कोर्ट में भी दाखिल करने का आदेश दिया है। इसी के साथ न्यायालय ने फिल्म प्रमाणन बोर्ड के चेयरमैन और सचिव सूचना व प्रसारण मंत्रालय का व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा है। न्यायालय ने सख्त निर्देश दिया है कि व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल न होने पर मंत्रालय के उपसचिव स्तर के अधिकारी को कोर्ट के समक्ष पेश होना होगा।