नईदिल्ली, 0३ जून ।
77वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (वर्ल्ड हेल्थ असेंबली-डब्ल्यूएचए) ने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों, 2005 में संशोधन करते हुए भविष्य में 194 सदस्य देशों को कोविड-19 जैसी किसी वैश्विक महामारी से बचाने के लिए कमर कस ली है। सदस्य देशों के 300 प्रस्तावों को सर्वसम्मति से मंजूर करके इसका खाका तैयार किया गया है।भारत ने आईएचआर-2005 के संशोधन में अहम भूमिका निभाते हुए सदस्य देशों को संशोधित नियमों पर सहमत कराने का काम किया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है कि इस संबंध में कई देशों के बीच गतिरोध रहा। लेकिन भारत ने इस मसौदे को तैयार करने में अहम भूमिका निभाकर इसके संचालन में हिस्सेदारी, जनस्वास्थ्य की आपात स्थितियों में विकासशील देशों की न्यायसंगत जवाबदेही निर्धारित करने का रास्ता बनाया है। अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों, 2005 (आईएचआर-2005) में संशोधन को अंतिम रूप 28 मई को दिया गया। इसे मंजूरी एक जून को मिली। जिनेवा में हुई बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्र ने किया। उन्होंने श्वेत पत्र के रूप में प्रस्तावों को अग्रसारित किया ताकि सिंगल ड्राफ्टिंग ग्रुप बने। वैश्विक महामारी को लेकर तैयार की गई इस संधि में स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी सदस्य देशों के बीच आमराय कायम करवाकर इसे सबकी मंजूरी दिलाने का काम कराया। अपूर्व चंद्र77वें विश्व स्वास्थ्य सभा की कमेटी के अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्र ने रविवार को कहा, यह अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों का संशोधन है।
यह सभी के लिए उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह हमारे बच्चों और उनके बच्चों के लिए एक तोहफा है। यह संशोधन महामारियों से निपटने में सहभागिता का अगला कदम है और समूचे विश्व को भावी वैश्विक महामारियों के खतरों से सुरक्षित रखने के लिए एकजुटता के एक छत्र का निर्माण किया गया है। इन संशोधनों में अंतरराष्ट्रीय चिंताओं की जनस्वास्थ्य आपातस्थितियों का प्रतिउत्तर (पीएचईआइसी) और वैश्विक आपातस्थितियों (पीई) की तैयारी शामिल है। पीएचईआइसी और पीई की विकासशील देशों की सहायता के लिए वित्तीय संसाधनों को आगे बढ़ाने, मजबूत करने और आइएचआर-2005 के तहत मुख्य क्षमताओं को कायम रखना होगा।