
पटना, १० जून।
अब तक की लगभग हर सरकार में बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हालांकि, अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जो बोलबाला रहा, वह बेजोड़ था। तब शीर्ष चार में से दो मंत्रालयों (रक्षा, वित्त) की कमान बिहार को मिली थी। उसके बाद भी दूसरे कई महत्वपूर्ण मंत्रालय बिहारको मिले। जैसे कि रेल, कृषि और ग्रामीण विकास आदि, लेकिन शीर्ष चार मंत्रालयों (गृह, विदेश, वित्त, रक्षा) की कमान नहीं मिली।वाजपेयी से पहले इंदिरा गांधी और चौधरी चरण सिंह की सरकार में भी रक्षा और विदेश मंत्रालय के नेतृत्व का अवसर बिहार को मिला था।गृह मंत्रालय में तो राज्य मंत्री से अधिक की उपलब्धि आज तक नहीं मिली। बहरहाल, हिस्से में आए मंत्रालयों से ही बिहार को अपने हित में सम्यक पहल की अपेक्षा है। बिहार की सर्वोत्तम उपलब्धि जगजीवन राम के नाम दर्ज उप प्रधानमंत्री का पद है। नेहरू से लेकर जनता सरकार तक वे कई महत्वपूर्ण ओहदों पर रहे।उनमें प्रथम वरीयता वाले शीर्ष चार मंत्रालयों में से एक रक्षा मंत्रालय का नेतृत्व भी है। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जार्ज फर्नांडिस भी रक्षा मंत्री बने।उनके साथ बिहार से दूसरे दिग्गज यशवंत सिन्हा को वित्त मंत्रालय की कमान मिली थी। वह वर्ष 1998 से 2002 का काल-खंड था।
उस समय जार्ज नालंदा के सांसद थे और यशवंत राज्यसभा के सदस्य।उसके बाद इन दोनों मंत्रालयों में बिहार इस मुकाम तक नहीं पहुंचा। केंद्रीय गृह मंत्री का पद तो बिहार में खाते में आज तक नहीं आया। परंतु, 170 दिनों तक विदेश मंत्री रहने की उपलब्धि श्यामनंदन मिश्र ने दर्ज कराई है। वह चौधरी चरण की सरकार थी और लोकसभा में श्यामनंदन बेगूसराय का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।इस बार घटक दलों को संतुष्ट-संतृप्त रखने और सामाजिक समीकरण साधने के उद्देश्य से बिहार से आठ मंत्री बनाए गए हैं। इतनी संख्या में बिहार से एक साथ मंत्री बनाए जाने का यह तीसरा अवसर है। वाजपेयी की सरकार में सक्रिय दिग्गजों के कारण बिहार को विशेष वरीयता मिली थी। उसके बाद मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी रेल और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिले।रेल मंत्रालय की कमान इतनी बार मिली कि लंबे समय तक उसकी पहचान बिहार से ही जुड़ी रही।
बड़ी परियोजनाओं के रूप में उसका अपेक्षित लाभ भी मिला।इस बार अपने कोटे के मंत्रियों से बिहार को ऐसे ही लाभ की अपेक्षा है। गरीबों के लिए आवास और मनरेगा आदि योजनाओं का संचालन ग्रामीण विकास मंत्रालय करता है।पिछली सरकार में कुछ समय के लिए केंद्र और बिहार के बीच इन योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर कहासुनी होती रही है। उसकी पुनरावृत्ति से इतर इस बार ठोस पहल की दरकार है।हर वर्ष कहर ढाने वाली बाढ़ से निजात के लिए नदी जोड़ परियोजनाओं पर आगे बढऩा होगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लाभ से बिहार अभी तक वंचित है। गंगा-कोसी से गाद की उड़ाही की मांग पुरानी है।खेती-किसानी के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कृषि रोड-मैप के सफल क्रियान्वयन में भी केंद्र से सहयोग अपेक्षित है। इन सबसे आगे विशेष दर्जा और विशेष पैकेज की चिर प्रतीक्षित अभिलाषा भी यथावत है।
—————-