
जांजगीर- चांपा। राज्य में नई सरकार बदलने के बाद चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वालों की उम्मीद फिर एक बार जगी है। जिले के ७६ हजार २१५ निवेशकों ने २२३ चिटफंड कंपनियों में २ अरब १७ करोड़ ४० लाख ७००२७ रूपए निवेश किया है। इनमें से मात्र एक कंपनी की संपत्ति निलाम कर निवेशकों को ४५ लाख रूपए ही लौटाया गया है। जबकि अन्य निवेशकों को फूटी कौड़ी तक नहीं मिली है।
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासन काल में चिटफंड कंपनियों ने जिलेवासियों को खूब लूटा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में ७६२१५ निवेशकों से २२३ चिटफंड कंपनियों ने २ अरब १७ करोड़ ४० लाख ७००२७ रूपए निवेश किया था और ये राशि डूब गई। ज्यादातर चिटफंड कंपनियों के कार्यालय बंद हो गए मगर निवेशकों को उनकी राशि नहीं मिली। उनके द्वारा थाने से लेकर न्यायालय तक का चक्कर भी लगाया गया। लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। वर्ष २०१८ में जब कांग्रेस सरकार बनी तो सरकार ने चिटफंड कंपनियों में डूबे रकम को वापस दिलाने के लिए आवेदन मंगाया। १ जनवरी २०१९ से १५ फरवरी २०२३ तक पीडि़तों ने आवेदन जमा किया। तहसील कार्यालयों में निवेशकों की भीड़ लगी और देखते ही देखते ७६२१५ निवेशकों ने आवेदन दिया। मगर राशि लौटाने के नाम पर सिर्फ विनायक होम्स रियल स्टेट लिमिटेड की ४५ लाख की संपत्ति १६ अप्रैल २०२३ को नीलाम की गई और उसके निवेशकों को यह राशि लौटाई गई। महज एक मात्र कंपनी की संपत्ति निलाम हुई जबकि २२२ कंपनियों की संपत्ति की नीलामी नहीं हुई है। ज्यादातर कंपनियों की संपत्ति इस जिले में है ही नहीं यह जिला तो दूर इस प्रदेश में भी बहुतायत चिटफंड कंपनियों की संपत्ति नहीं है। ऐसे में सरकार कार्रवाई करे भी तो किस पर करे। इसके कारण चिटफंड में डूबी राशि की वसूली कठिन काम है।
गरिमा होम्स एंड रियल स्टेट एलाईट कंपनी की संपत्ति की नीलामी के लिए विशेष न्यायालय जांजगीर ने१६ फरवरी २०२३ को अंतिम आदेश पारित किया है। कुर्की की कार्रवाई अभी लंबित है जबकि आधा दर्जन अन्य कंपनियों की संपत्ति की कुर्की की कार्रवाई जिले के अलावा बेमेतरा, कोरबा के न्यायालयों में लंबित हैं। भाजपा के घोषणा पत्र में भी यह उल्लेख किया गया है कि प्रदेशवासियों की जाली चिटफंड में फंसी राशि की पांच सालों के अंदर वापसी सुनिश्चित करेंगे। इसको लेकर निवेशकों की उम्मीद फिर एक बार जगी है। निवेशक और चिटफंड कंपनी के एजेंटों ने पहले से ही संगठन बना लिया है और वे भी राशि वापसी के लिए धरना प्रदर्शन कर मांग करते रहते हैं। कांग्रेस के शासन काल में राशि वापसी की शुरूवात तो हुई मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।
जब जिले में चिटफंड कंपनियां संचालित हो रही थी । उस समय एजेंट टाई कोट पहनकर गांव-गांव घूमते थे और लोगों को २ से ३ साल में राशि दोगुना करने का झांसा देकर लोगों को ठगा। ठगी के जो शिकार हुए उनमें से ज्यादातर एजेंटों के करीबी रिश्तेदार, मित्र और जान- पहचान के लोग ही थे। एजेंटों को राशि जमा कराने पर सीधा २५ प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। एजेंट यह राशि चिटफंड कंपनियों में जमा करने से पहले अपना कमीशन काट लेते थे। चिटफंड कंपनियों के काले कारोबार में एजेंट भी लाल हो गए मगर निवेशक कही के नहीं रहे।