कोरबा। लेमरू गांव में यह मोर जैसे गांव का ही एक सदस्य बन गया है। उसकी दिनचर्या और ग्रामीणों से उसका लगाव एक अनोखा रिश्ता दर्शाता है। सुबह गांव की गलियों में घूमना, लोगों से दाना लेना और शाम को वापस रेंज कार्यालय लौट आना, यह उसकी एक आदत बन चुकी है।
इस मोर की खासियत यह है कि वह बाहरी लोगों को पसंद नहीं करता और अपनी पंख फैलाकर उन्हें दूर करने की कोशिश करता है। उसकी यह हरकत न केवल मनोरंजक है बल्कि दर्शाती है कि वह अपने इलाके से कितना जुड़ा हुआ है। यह नजारा न सिर्फ गांववालों के लिए खास है, बल्कि इसे देखने वाले लोगों के लिए भी एक आकर्षण बन गया है।
सुरक्षा का भाव करता है चौकन्ना
सामान्य तौर पर मोर को आकर्षक और अंतर्मुखी प्राणी में शामिल किया गया है। उसकी पहचान अपने नृत्य कौशल और ऋतु परिवर्तन के साथ व्यवहार में बदलाव से है। अनजाने लोगों को देखकर जीव जंतु ऐसा आभास करते हैं कि वह खतरे में है इसलिए खुद को आक्रामक दिखाने की कोशिश करते हैं। मोर के साथ भी कुछ ऐसा ही है। कीड़े मकोड़ों को यह जल्दी शिकार बनाता है। यहां तक की जहरीले जीव जंतु इससे खौफ खाते हैं।
मृत्युंजय शर्मा, वन अधिकारी कोरबा