जांजगीर । गंभीर अपराधों में पुलिस की विवेचना के बाद अपराधियों को कड़ी सजा मिले इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की पैनी नजर है। देश भर में गंभीर अपराधों में सजा की समीक्षा सुप्रीमकोर्ट द्वारा की जा रही है। जिसमें यह बात सामने आई है कि गंभीर अपराध के बाद सजा का प्रतीशत लगातार बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में भी हाल ही में समीक्षा हुई। जिसमें प्रदेश में दोषसिद्धि प्रकरणों के निपटारे के बाद गंभीर अपराधों की समीक्षा में जांजगीर-चांपा जिला प्रदेश में टॉप पर है।
अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने के पीछे पुलिस का बड़ा रोल रहता है। क्योंकि पुलिस की विवेचना के पश्चात ही अपराधियों को सजा देने कोर्ट की भूमिका रहती है। जांजगीर-चांपा जिले में बीते दो साल के भीतर दोषसिद्धि प्रकरणों की समीक्षा की गई। जिसमें 128 गंभीर अपराधियों को सजा दिलाई गई। जिसमें 26 अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा दिलाई गई। वहीं 76 मामलों में सश्रम कारावास की सजा दिलाई गई। वहीं 26 मामलों में अर्थदंड की सजा व एक मामले में अपराधी को फांसी की सजा दिलाई गई। जांजगीर-चांपा पुलिस ने 100 फीसदी मामले में ऐसी विवेचना की सभी गंभीर मामले के अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिली है। जिसमें एक आरोपी को फांसी की भी सजा दिलाई गई है।
अपराध का ग्राफ कम करने पुलिस का विशेष योगदान रहता है। अपराधी यदि गंभीर अपराध करने के बाद भी बच निकले तो इससे पुलिस की भी बदनामी होती है। जिसे देखते हुए कोर्ट यह चाह रही है कि गंभीर अपराध में अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि समाज में पुलिस व कोर्ट की छवि बनी रहे। इसके लिए पुलिस को हर मामले में जांच पड़ताल कर अच्छी विवेचना करनी चाहिए और 90 फीसदी मामलों में अपराधियों को सजा मिले। ताकि आने वाले दिनों में अपराध कम हो।
कोर्ट ने हाल में स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रत्येक बरी मामले में न्याय प्रदान करने में विफलता माना जाना चाहिए। या यह भी कहा जा सकता है कि निर्दोष व्यक्ति पर गलत मुकदमा चलाया गया। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक राज्य को प्रक्रियात्मक तंत्र स्थापितकरना चाहिए। जो यह सुनिश्चित करे कि न्याय का उद्देश्य पूरा हो। साथ ही उप लोगों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करे जो निर्दोश हो। कोर्ट का यह भी कहना है कि किसी आपराधिक मामले की परिणति दोषमुक्त होने के पीछे जिम्मेदार जांच अधिकारी या अभियोजन अधिकारी की पहचान होनी चाहिए। प्रत्येक मामले में एक निष्कर्ष दर्ज करने की आवश्यकता है। चाहे चूक निर्दोष थी या दोषपूर्ण थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि तत्काल फैसले की एक प्रति सुप्रीम कोर्ट को रजिस्ट्री के द्वारा एक सप्ताह के भीतर सभी राज्य सरकारें व केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को प्रेषित की जाए।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गंभीर मामलों की विवेचना ऐसी की जाए ताकि अपराधियों को हर हाल में सजा मिले। इतना ही नहीं हर सजा का प्रतिशत बढ़े ताकि अपराधों में कमी आए। वर्ष 2022-23 में हुए दोषसिद्धि प्रकरणों में सर्वश्रेष्ठ थाना जांजगीर-चांपा जिला है।
-विजय अग्रवाल एसपी, जांजगीर