जांजगीर चंपा। ट्रेचिंग ग्राऊंड में अब कचरे को नष्ट करने की पहली चरण केमिकल ट्रीटमेंट रविवार को शुरू किया गया। 20 वर्ष से जमे कचरे को इक_ा कर पहाड़ बनाया गया।
इसके बाद इसमें केमिकल डाला गया। अब यह कचरे धीरे-धीरे नष्ट होगी। इसके बाद इसका खाद भी बनेगा। जिसको बेचकर पालिका की आमदनी भी होगी, साथ ही श्रम कार्यालय के बगल अब कचरामुक्त हो जाएगा। इससे शहरवासी सहित आसपास क्षेत्र के लोग राहत की सांस लेंगे।
20 साल से शहर भर का कचरा ट्रेचिंग ग्राउंड मुनुंद रोड में श्रम विभाग के बगल में डंप किया जा रहा है। जहां कचरों का पहाड़ बन गया था। यह कचरों का पहाड़ मेन रोड तक फैलता जा रहा था। हवा चलने के कारण कचरों के पालीथिन हवा में उडक़र मेन रोड में पहुंच जाता है। इसकी सफाई 20 सालों में आज तक नहीं हुआ था, इससे सबसे ज्यादा नुकसान नगरपालिका को स्वच्छता रैकिंग में होती है। मेन रोड में कचरा फैलने का रैंक भी कट जाता है। यह ट्रेचिंग ग्राउंड फैलते-फैलते चार से पांच एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस कचरे से शहर के जनता को नुकसान हो रहा था। साथ ही एनजीटी के आदेशों की अवहेलना हो रही थी। शहर को कचरामुक्त करने के लिए सीएमओ चंदन शर्मा लगातार प्रयासरत रहे। उसकी मेहनत आज रंग लाई और ट्रेचिंग ग्राउंड की सफाई का दूसरा चरण रविवार को शुरू किया गया। दूर-दूर तक फैले कचरे को इक_ा कर पहाड़ सा बनाया गया। इसके बाद इसमें केमिकल का बायो कल्चर विधि से स्प्रे किया गया। साथ ही ऊपर को पूरी तरह से ढंक दिया गया। साथ ही फिर इसको 21 दिन तक छोड़ेगे। फिर इसे अलटी-पलटी किया जाएगा, इसके बाद दूसरा बायो कल्चर का स्प्रे होगा। जूट रोज से इसका कैपिंग किया जाएगा। 24 से 28 दिन फिर रखा जाएगा। कचरा की ऊंचाई 14 या 18 फीट की होगी, वह आधा हो जाएगी। इसका मतलब है कि डिम्पोज की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जो खाद तैयार हो जाएगा। दो माह का समय लगेगा। फिर इस खाद को बेचकर पालिका की आमदनी भी होगी।
अब शहर में नहीं बनेगा ट्रेचिंग ग्राउंड, सीधे होगा निपटान
इधर कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसके बाद अब शहर से निकलने वाले कचरा का डंप शहर में कहीं नहीं किया जाएगा। अब शहर में रोज निलकने वाले डोर-टू-डोर कचरा का सीधे एसआरएलएम सेंटर में रीसाइक्लिंग होगा। इसके लिए वार्ड नंबर 1 के एसआरएलएम सेंटर को चुना गया है। इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया आगे और दिया जाएगा। माने अब हर दिन निकलने वाला कचरा का सीधे निपटान करेंगे। इससे पलिका जैविक खाद बेचकर आमदनी भी प्राप्त करेगी। कहीं शहर में कहीं भी डंप कचरा नजर नहीं आएगा।