नईदिल्ली। भारत के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्त्री ने शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकवादियों को प्रशिक्षण और आश्रय देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अस्थिरता पूरे क्षेत्र के लिए खतरा है। वह किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में अफगानिस्तान पर सुरक्षा परिषदों के सचिवों/राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की छठी क्षेत्रीय वार्ता को संबोधित कर रहे थे।मिस्त्री ने कहा कि अफगानिस्तान के लिए भारत की तात्कालिक प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता प्रदान करना, समावेशी और प्रतिनिधि सरकार का गठन सुनिश्चित करना, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करना और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना शामिल है।उन्होंने कहा कि भारत ने अभी तक अफगानिस्तान में स्थापित तालिबान को मान्यता नहीं दी है और काबुल में वास्तव में समावेशी सरकार के गठन की वकालत कर रहा है।
भारत अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करने में विश्वास करता है। भारत की अफगानिस्तान में लगभग 500 परियोजनाओं में उपस्थिति है। अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए तीन अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। उन्होंने क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी को गंभीर खतरा बताया।इस दौरान उन्होंने मध्य एशियाई देशों को समुद्री व्यापार के लिए चाबहार बंदरगाह के साथ ही शहीद बाहेस्ती टर्मिनल का उपयोग करने के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के ढांचे में शामिल करने और इसे वास्तविक रूप देने का आह्वान किया।