जनता का समर्थन प्राप्त करने की चुनौती
कोरबा। नगरी निकाय चुनाव के लिए प्रदेश सरकार ने नीति तय कर ली है। निकायों में प्रमुख पद के चुनाव जनता के द्वारा वोट डालने के साथ होंगे जबकि पार्षद के लिए पहले से ही इस प्रकार की व्यवस्था तय है। चुनाव की घोषणा कब हो जाए, पता नहीं। जबकि प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन बहुत पहले हो चुका है। इसलिए विभिन्न क्षेत्रों से चुनाव लडऩे की मानसिकता रखने वाले दावेदार और वर्तमान पार्षद जनता से जुड़े मुद्दों को सुलझाने में लगे हुए हैं। शिकायत है कि विभिन्न वार्डों में बुनियादी मसले लंबे समय तक लटके रहे और इस पर कुछ नहीं हुआ।
कोरबा जिले के सबसे बड़े निकाय यानी नगर पालिका निगम कोरबा में नवीन परिसीमन के बाद फिर से वार्डों की कुल संख्या 67 हो गई है । बाकी मोगरा को पृथक से नगर पालिका गठित करने के कारण 8 शब्द निगम से काट दिए गए। नगर पालिक निगम के गठन के दौरान इसका क्षेत्र बाकी मोगरा तक फैला हुआ था। नवीन व्यवस्था के अंतर्गत एक बार फिर नगर निगम क्षेत्र का परिसीमन किया गया और बहुत सारे वार्डों की सीमाओं का बदलाव करने के साथ अतिरिक्त रूप से आठ नए वार्ड बनाए गए हैं और इस तरीके से वार्डों की कुल संख्या पहले की तरह हो गई है। इस चक्कर में कई दावेदारों का चुनावी समीकरण गड़बड़ा गया है जो अगली व्यवस्था को लगभग तय मानते हुए अपनी तैयारी में जुटे हुए थे। जबकि सहूलियत इस बात से भी है कि वार्ड का दायरा घटा है लेकिन उसकी सीमाओं को अलग-अलग कर देने से चुनौतियां बढ़ गई हैं।
खबरों के अनुसार नगर निगम कोरबा क्षेत्र में कई वार्ड के पार्षदों पर निष्क्रिय होने का ठप्पा लगा हुआ है और वह काफी समय से इस मसले को लेकर लोगों के निशाने पर हैं। लोगों की शिकायत रही है कि पानी, बिजली, सडक़ और दूसरी समस्याओं को लेकर उन्होंने कई मौके पर अपने वार्ड के निर्वाचित पार्षद को इसकी जानकारी दी और समाधान को लेकर कहा लेकिन कोई परिणाम नहीं आ सके। अब जब नगरी निकाय चुनाव सर पर है तो ऐसे ही पार्षद अपनी ओर से गंभीरता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। अचानक से वार्डों में भ्रमण के साथ लोगों को बताया जा रहा है कि नए कार्य उनके यहां होने हैं कहीं पर सडक़े बना रही है तो कहीं लंबित कार्यों को शुरू कर दिया गया है। जनता को लग रहा है कि चुनाव में उनकी ताकत सबसे खास होती है इसलिए अभी से पूछ पर शुरू कर दी गई है।