फिरोजपुर, २४ जनवरी ।
पंजाब के फिरोजपुर में फर्जी गांव बसाकर मनरेगा में 43 लाख रुपये घोटाले का मामला सामने आया है। फाइलों में फर्जी गांव बसाकर मनरेगा योजना में 43 लाख रुपये के घोटाला करके एडीसी (विकास) कार्यालय के कर्मचारी छह महीने तक इसे दबाकर बैठे रहे। यह मामला साल 2018-19 का है। इसके तहत न्यू गट्टी राजोके नाम से फर्जी गांव दिखाकर पहले 140 मजदूरों को मनरेगा जॉब कार्ड बनाए गए और फिर उनके विभिन्न कार्य करवाने के नाम पर 43 लाख रुपये का भुगतान किया गया। घोटाले का राजफाश होने के बाद एडीसी विकास लखबिंदर सिंह ने राजस्व विभाग से रिपोर्ट मांगी है। पूछा है कि क्या नवीं गट्टी राजोके व न्यू गट्टी राजोके दो अलग-अलग गांव हैं। एक सप्ताह बाद भी राजस्व विभाग ने एडीसी को रिकॉर्ड नहीं सौंपा है। एडीसी (वि.) लखबिंदर सिंह रंधावा ने बताया कि वे मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं, लेकिन राजस्व विभाग का रिकॉर्ड न मिलने के कारण गांव की स्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। आरटीआई में घोटाले का पर्दाफाश 15 जुलाई, 2024 को ही हो गया था, लेकिन करीब छह महीने से अधिकारी इसे छुपाते रहे। कुछ महीने पहले एडीसी (वि.) का पद संभालने वाले लखबिंदर सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की है। फर्जी गांव आरटीआई एक्टिविस्ट गुरदेव सिंह के सवालों के जवाब में सामने आया था।
राजस्व रिकॉर्ड में फिरोजपुर ब्लाक में गट्टी राजोके व नवीं गट्टी राजोके दो गांव हैं। अधिकारियों व कर्मचारियों ने न्यू गट्टी राजोके के नाम से फर्जी गांव बनाकर उसकी डोंगल भी बना ली। एक अधिकारी ने तो यह तक कह दिया क्या वे कई कर्मचारियों को फांसी पर लटका दें। अधिकारियों ने नवीं गट्टी राजोके में मनरेगा योजना में 35 प्रोजेक्ट पर काम कराया, जबकि फर्जी गांव न्यू गट्टी राजोके में मजदूरों से 55 प्रोजेक्ट पर काम दिखाया गया। 140 मजदूरों के मनरेगा जॉब कार्ड बनाकर उनसे किसान शेल्टर, धुस्सी बांध निर्माण, प्राइमरी स्कूल की चारदीवारी बनाने, पौधारोपण आदि के काम रिकॉर्ड में दर्ज कर 43 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया।