जमशेदपुर। आतंकी संगठन अल-कायदा की शाखा अल-कायदा इन इंडियन सबकान्टिनेंट (एक्यूआईएस) के संदेही अब्दुल शमी, अब्दुल रहमान कटकी और मौलाना कलीमुद्दीन को जमशेदपुर न्यायालय के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश विमलेश कुमार सहाय की अदालत ने शुक्रवार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने बताया कि मामले में 16 लोगों की गवाही हुई थी। अभियोजन पक्ष आतंकी होने का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया। वहीं अब्दुल शमी के भाई मो ताहिर अली ने कहा कि न्याय पर भरोसा था।
न्याय की जीत हुई है। नौ साल परिवार ने किस तरह गुजारे इसकी परिकल्पना कर रूह सिहर जाता है। आतंकी शब्द सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
इधर, जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाना में अब्दुल सामी, अब्दुल रहमान कटकी, मौलाना कलीमुद्दीन, अब्दुल मसूद और नसीम समेत अन्य के विरुद्ध बिष्टुपुर थाना में आतंकवादी संगठन अलकायदा से जुड़ने, संगठन का विस्तार करने, जिहाद के लिए युवाओं को भड़काने और देशद्रोह की प्राथमिकी 25 जनवरी 2016 को इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार की शिकायत पर दर्ज की गई थी। बिष्टुपुर थाना क्षेत्र धातकीडीह निवासी अब्दुल शमी को हरियाणा के मेवात से 18 जनवरी 2016 को दिल्ली की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी ओडिशा से गिरफ्तार कटकी की निशानदेही पर की गई थी।
सहयोगियों की जमशेदपुर समेत अन्य क्षेत्र से गिरफ्तारी होने के बाद बिष्टुपुर में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जेल में होने के कारण कटकी और शमी की अदालत में वीडियो कान्फ्रेंसिंग से पेशी हुई थी। कलीमुद्दीन को झारखंड एटीएस ने टाटानगर स्टेशन के पास से 22 सितंबर 2019 को गिरफ्तार किया था। इस मामले में कलीमुद्दीन को झारखंड उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। कटकी और शमी घाघीडीह सेंट्रल जेल में है।