
सक्ती। अवैध रेत उत्खनन में कार्रवाई को लेकर नवीन जिला सक्ती सबसे ज्यादा फिसड्डी साबित हो रहा है। इससे रेत कारोबारियों का मनोबल दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। बता दें कि 2022 के सितंबर माह में नवीन जिला सक्ती अस्तित्व में आया। वहीं लगभग 10 माह खनिज विभाग उधार के अधिकारी से चलता रहा। फिर जिला खनिज अधिकारी की पूर्ण नियुक्ति हुई। अधिकारी तो बैठ गए, लेकिन आज भी खनिज विभाग का सेटअप अधूरा है। कार्रवाई के लिए पर्याप्त अमला नहीं होने की स्थिति में अवैध कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं। बता दें कि जिले की सभी रेत खदानें शासन प्रशासन के स्तर पर बंद हैं,
बावजूद इसके धड़ल्ले से आज भी रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन बदस्तूर जारी है। मजे की बात यह है कि जिला कलेक्टर कार्यालय, सहित एसडीएम, तहसील कार्यालय व थाने के सामने से अवैध परिवहन बेखौफ किए जा रहे हैं। आसपास के छोटे-बड़े नदी-नालों के अलावा मांड नदी, बोराई नदी और महानदी से सैकड़ों ट्रैक्टर और हाइवा में अवैध रेत परिवहन हो रहा है। कई ऐसे अवैध उत्खनन क्षेत्र हैं, जहां सरपंचों द्वारा लेवी वसूली जा रही है। इस संबंध में अधिकारी भी अलग-अलग रैवैया अपनाए हुए हैं। खनिज अधिकारी की पोस्टिंग के बाद से राजस्व अधिकारी और पुलिस विभाग अवैध परिवहन को रोकने से अपने आप को दूर रखे हुए हैं। वहीं स्टाफ की कमी के कारण खनिज विभाग भी कार्रवाई गिनती की है। गत दिनों कुछ वाहनों को अवैध परिवहन करते हुए खनिज विभाग द्वारा जरूर अपनी पीठ थपथपाई गई थी, लेकिन उसके बाद से खनिज विभाग की कार्रवाई ठंडी पड़ी हुई है।
नगर में रोज सैकड़ों की संख्या में अवैध परिवहन करते ट्रैक्टर तेज गुजर रहें हैं, लेकिन उनकी धरपकड़ तो दूर उन्हें रोकने की भी हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा है। बता दें कि जिले में अवैध रेत उत्खनन अब रेत माफिया का रूप लेता नजर आ रहा है। सिधनसरा. कुम्हारी पठान, मन्द्रागोढ़ी, नवापारा, जेठा सहित मोहंदी, सुलोनी, मालखरौदा, डभरा के बसंतपुर सहित लगभग चार दर्जन ऐसे छोटे-बड़े रेत खदान हैं जहां से रोज अवैध उत्खनन हो रहा है।