कोरबा। बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण को लेकर काम करने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों में आज ताला लटके रहे और कोई काम नहीं हुआ। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए। उनका आरोप है कि सरकार लंबित मांगों को नजरअंदाज कर रही है।
कोरबा जिले के शहरी और ग्रामीण परियोजनाओं में हड़ताल की वजह से आज आंगनबाड़ी केन्द्रों की सेवाएं ठप रही। यहां पर जो बच्चे पहुंचे थे उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। बाद में दूसरे माध्यम से पता चला कि संचालन करने वाले हड़ताल पर हैं। खबर के मुताबिक कर्मियों के संयुक्त मंच-छत्तीसगढ़ ने केंद्रीय बजट में लंबित मांगों को शामिल कर पूर्ण करने की मांग के लिए प्रदर्शन किया। जिला मुख्यालय में संगठन के कार्यकर्ताओं ने ओपन थिएटर घंटाघर में नारेबाजी करने के साथ मांगों दोहराई। उन्होंने कहा कि फिलहाल एक दिन के लिए हड़ताल की गई है और इसी से केन्द्रों का कामकाज ठहर गया है। आगे लंबी हड़ताल होगी तो अफसरों से लेकर सरकार को समझ में आ जाएगा।
संयुक्त मंच की कोरबा जिलाध्यक्ष श्रीमती वीणा साहू ने बताया कि मांगों की ओर सरकार का ध्यानाकर्षण करते इसे मार्च 2025 के बजट में प्रावधान करते हुये शीघ्र पूर्ति करने का आग्रह किया गया है। वे कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग कर रही है। इसके विकल्प में घोषणा होने तक उन्हें 21 हजार और सहायिकाओं को 18 हजार वेतन सरकार से चाहिए। इसके अतिरिक्त और भी मांगें हैं। उनका तर्क है कि मध्यप्रदेश में हमारे ही जैसे काम करने वाले वर्ग के लिए सरकार ने वेतन बढ़ा दिया है तो यहां क्या दिक्कत है। कहा गया कि मार्च 2025 के बजट में इसे पूरा करने बाबत आग्रह किया गया था। लगातार आश्वासन दिए गए लेकिन काम नहीं हुआ।