
मुंबई, 0२ सितम्बर ।विपक्षी आईएनडीआईए की मुंबई में हुई तीसरी बैठक के दौरान जातीय जनगणना कराने की पैरोकारी का संकल्प तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के एतराज के कारण पारित नहीं सका। कांग्रेस के पूरे समर्थन के साथ नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के जातीय जनगणना की तगड़ी तरफदारी के बीच ममता बनर्जी ने इस मुद्दे से जुड़े सामाजिक-राजनीतिक पहलुओं को जिक्र करते हुए इस पर अभी और व्यापक चर्चा की राय जाहिर की और कई सवाल उठाए। इस वजह से आईएनडीआईए को मुंबई बैठक में जातीय जनगणना पर संकल्प प्रस्ताव का इरादा त्यागना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, आईएनडीआईए के मिलकर चुनाव लडऩे के चुनावी संकल्प और इसरो के चंद्रयान-तीन की सफलता से जुड़े प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित करने में कोई किंतु-परंतु सामने नहीं आया, लेकिन जातीय जनगणना से जुड़े संकल्प पारित करने की बात उठी तो ममता ने इसे जुड़े संवेदनशील राजनीतिक-सामाजिक पहलु का सवाल उठाया। सूत्रों ने कहा कि जनता दल यूनाइटेड, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने जाति जनगणना की मांग का संकल्प पारित करने पर जोर दिया, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया। दीदी ने कहा कि जातीय जनगणना की प्रक्रिया होगी, तो अल्पसंख्यकों की ओबीसी में संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी और ऐसे में भाजपा इसे धार्मिक रंग देकर विवाद पैदा करने की कोशिश करेगी। पश्चिम बंगाल में ओबीसी में अल्पसंख्यकों की संख्या में इजाफे की संभावना जताते हुए इस पहलु पर और अधिक चर्चा की जरूरत बताई।बताया जाता है कि ममता ने यह भी कहा कि समन्वय समिति और चुनाव रणनीति समिति का गठन हो गया है। ऐसे में जातीय जनगणना के राजनीतिक-सामाजिक पहलुओं का अधिक व्यापक विश्लेषण कर अंतिम राय बनाई जाए। नीतीश और लालू को आश्वस्त करने के लिहाज से यह भी कहा कि इस पर अभी और मंत्रणा की उनकी बात का अर्थ यह नहीं कि वे जातीय जनगणना के विरोध में हैं बल्कि उनका लक्ष्य सामाजिक और राजनीतिक सतर्कता है। दीदी के इन तर्कों के बाद जातीय जनगणना का संकल्प पारित करने का इरादा छोड़ दिया गया। दिलचस्प यह है कि बेंगलुरू में हुई आईएनडीआईए की दूसरी बैठक में पारित सामूहिक संकल्प में विशेष रूप से जाति जनगणना कराए जाने का अह्वान करते हुए कहा गया था कि सभी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए निष्पक्ष सुनवाई की मांग के पहले कदम के रूप में जाति जनगणना लागू की जाए। बिहार में नीतीश सरकार जातीय जनगणना करा रही है और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने की मांग खारिज कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, ममता बनर्जी सीट बंटवारे की प्रक्रिया को 15 अक्टूबर तक पूरे करने लेने की पूरजोर हिमायत कर रही थीं ताकि एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की ज्यादा गुंजाइश न रहे। इसी दौरान किसी ने उन पर तंज कसा कि वे भी तो इधर-उधर जाकर उम्मीदवार खड़े कर देती हैं। दीदी इस तंज पर खफा हो गईं। हालांकि, अगले ही पल सामान्य होते हुए मामले को वहीं समाप्त कर दिया।