
कोरबा। नगर निगम में महापौर का पद महिला सामान्य के लिए आरक्षित होने के साथ अब समीकरणों में अप्रत्याशित परिवर्तन आया है। आरक्षण से पहले प्रमुख पार्टियों के जो लोग आगे की संभावना के आधार पर तैयारी कर रहे थे, उनके हाथ से तोते उड़ गए हैं। अब उन्होंने अपने महिला परिजन के लिए लॉबिंग तेज कर दी है। भाजपा और कांग्रेस से कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही आर्थिक रूप से सक्षम और जनता के बीच अच्छी पैठ होने वाली महिलाएं भी अपने लिए प्रतिनिधित्व संबंधित संभावना की तलाश में जुटी हुई हैं। कहा जा रहा है कि दोनों पार्टी के प्रमुख नेता चाहकर भी अपने परिजनों का नाम महापौर पद के लिए आगे नहीं बढ़ा सकेंगे, क्योंकि उन्हें कार्यकर्ताओं की नाराजगी का डर सता रहा है। ऐसे में अगर संभव हुआ तो दमदार कार्यकर्ता अथवा पीछे की लाइन से भी किसी को मौका मिल सकता है।
छत्तीसगढ़ में कोरबा समेत तीन स्थान पर महापौर का पद महिलाओं के लिए आरक्षित हुआ है। कोरबा के लिए यह तीसरी बार होगा जब किसी महिला को साकेत की सत्ता संभालने का अवसर मिलने जा रहा है। अब तक की स्थिति में भाजपा से महापौर पद के लिए ट्रांसपोर्ट नगर वार्ड की पार्षद रितु चौरसिया और साकेत नगर वार्ड की पार्षद आरती अग्रवाल को प्रमुख दावेदार में गिना जा रहा है। इसके साथ ही खबरें ऐसी भी है कि संगठन में लंबे समय से सक्रिय और खास भूमिका निभा चुके पूर्व महापौर जोगेश लांबा अपनी पत्नी रश्मि लांबा के नाम को आगे बढ़ा सकते हैं। पिछले चुनाव में टिकट की मांग करने वाले नवीन पटेल के मामले में पार्टी का रूख सकारात्मक नहीं रहा। ऐसे में माना जा रहा है कि सृजन सेवा समिति की अध्यक्ष और धर्मपत्नी कल्पना पटेल को महापौर के लिए वे आगे कर सकते हैं। भाजपा में एल्डरमेन रह चुकीं मंजू सिंह सहित कुछ और नेत्रियों का नाम भी इस कड़ी में लिया जा रहा है।
प्रदेश में सत्तासीन भाजपा और उसकी नीतियों के कारण खासतौर पर महिला वर्ग को काफी फायदे हुए हैं। ऐसे में निकाय चुनाव से भाजपा को लाभ होता नजर आ रहा है। इसके मद्देनजर कांग्रेस को मैदान मारने में परेशानी तो होगी ही। फिर भी कांग्रेस से इस पद के लिए कई नेताओं ने अपने महिला परिजनों के नाम को आगे किया है। संभावना जताई जा रही है कि एक अशासकीय संगठन के लिए कार्यरत उषा जायसवाल, अखिल विश्व गायत्री परिवार से लंबे समय से जुडक़र सामाजिक स्तर पर कार्यरत डॉ. शोभना परसाई और वरिष्ठ नेत्री उषा तिवारी के नाम की चर्चा महापौर पद के लिए प्रमुख रूप से हो रही है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में कई क्षत्रप अपने वर्चस्व को बनाए रखना चाहते हैं लेकिन इस बार समीकरण अनुकूल नहीं नजर आ रहे हैं इसलिए मौजूदा पार्षदों के अलावा कई कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग स्तर पर अपनी भूमिका की जानकारी देकर दावेदारी करने की मानसिकता बनाई है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा दूसरे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों ने भी अपनी उपस्थिति को दिखाने के इरादे से निगम में महापौर पद के लिए महिला कार्यकर्ताओं को उतारने का मूड बनाया है। नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के दौरान पता चल सकेगा कि प्रमुख पार्टियों के अलावा और कौन से दल इस पद के लिए अपनी गठरी खोलने की मानसिकता में है।
स्वच्छता सखी शीतला के लिए मशक्कत
खबरों के मुताबिक भाजपा में दावेदारों की संख्या ज्यादा होने पर निर्णय कैसे होगा? इस प्रकार की परिस्थितियां बनने पर माथापच्ची हो सकती है और दूसरी तरफ पीछे की लाइन से किसी कार्यकर्ता को महत्व देकर चौकाने वाली रणनीति के जरिए भाजपा उदाहरण भी पेश कर सकती है। कई मौके पर इस प्रकार की तस्वीर बनी है। जानकारों का दावा है कि अगर ऐसा हुआ तो कोरबा में इस बार दावेदारों के बीच टक्कर हो सकती है और संभावित है कि इस स्थिति में स्वच्छता सखी शीतला विश्वकर्मा को अवसर मिल सकता है। उन्होंने पिछले वर्षों में श्रमिक विद्यालय में शिक्षक की भूमिका निभाई है। फिलहाल वे स्वच्छता सखी के अलावा सामाजिक और धार्मिक संगठन के साथ मिलकर काम कर रहीं हैं। भाजपा महिला मोर्चा में अध्यक्ष का दायित्व पूर्व में निभाने के कारण उनकी पकड़ आसपास में है। दावा किया जा रहा है कि महापौर पद के आरक्षण के साथ गोपनीय रिपोर्ट में उनका नाम आगे बढ़ाया गया है।