
जांजगीर चांपा। जिला परिवहन कार्यालय में लाइसेंस बनवाने सामान्य व्यक्ति को महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं लेकिन ऑफिस के बाहर दर्जनों कार में एजेंट मोटी रकम लेकर यह काम बड़ी आसानी से करा देते हैं। इसके लिए बस लाइसेंस बनवाने वाले को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। यहां बगैर ड्राइविंग टेस्ट दिए ही फोर व्हीलर के लाइसेंस बनाए जाते हैं। इसके लिए 3700 से 4000 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इसके पास प्रिंटर मशीन, लैपटॉप से लेकर सारी सुविधा ही कार में लैस है। आखिर इन सुविधाओं को सरकारी कार्यालय में खुद विभाग द्वारा क्यों उपलब्ध नहीं किया जाता यह समझ से परे है।ऑनलाइन फॉर्म भरने के एवज में खुलेआम आम लोगों को लूटने का काम चल रहा है। लाइसेंस बनाने का दावा करने वालों का तो यह भी दावा है कि इस काम के लिए ऑफिस के बाबू से लेकर अफसर तक मोटी पहुंचाते हैं। सोमवार को कुछ लोग लाइसेंस बनवाने के लिए पहुचे तो एजेंट ने 3700 से 4000 रुपए में बिना ट्रायल लाइसेंस बनवाने की बात कही । एजेंट ने बकायदा इसके लिए दोगुना फीस तय कर रखा है, टू प्लस व फोर व्हीलर के लिए 3700 से 4000 रुपए लग रहे हैं। यह पूरा खेल परिवहन विभाग के संरक्षण में चल रहा है, यही वजह है कि ऑनलाइन के नाम पर कार में बैठे दलालों को किसी तरह की कार्रवाई का कोई खौफ नहीं है। जिला मुख्यालय में आरटीओ ऑफिस कार में ही चल रहे हैं। आरटीओ एजेंट वाहनों में ही रजिस्ट्रेशन, लर्निंग और ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित कार्य खुलेआम ऑफिस के ब बाहर कर रहे। कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि। बिना टेस्ट दिए तीन गुना रकम लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बना रहे हैं। इसमें आरटीओ ऑफिस के अधिकारियों का खुला संरक्षण है। इसीलिए जानकारी के अभाव में लोग आफिस में काम पेचीदा होने के कारण इन दलालों के चक्कर में फंसकर ज्यादा रुपए चुकाने मजबूर हैं। वहीं अधिकारी भी इन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। हर काम ऑनलाइन, फिर भी एजेंट राज अब भी हावी वर्तमान में धीरे-धीरे हर ऑफिस मे भ्रष्टाचार को कम करने के लिए ऑनलाइन किया जा रहा है। इसके अलावा लोगों का काम आसानी से हो सके। आरटीओ ऑफिस में भी सारे काम ऑनलाइन है, लेकिन इसके लिए एजेंट सक्रिय हैं और मोटी रकम वसूलकर लोगों को ठगने का काम किया जा रहा है। इसमें क्लर्क तक मिले हैं, सामान्य व्यक्ति को लाइसेंस बनवाने के लिए कई बहाना बनाकर महीनों तक घुमाया दिया जाता है। वहीं जब एजेंट पहुंचते है तो लाइन में लगे लोगों के पहले एजेंट के व्यक्ति का पहले फोटो व हस्ताक्षर लिया जाता है। ऐसे में कई बार विवाद की स्थिति भी बनती है। ऑफिस के बाहर कार में बैठे दलालों का ठाठ इतना अधिक है कि वह किसी अधिकारी से कम नहीं रहते इनके पास अनेक चार पहिया वाहन तथा मोटी रकम के अलावा कई लाख रुपए की ऐशो आराम की वस्तुएं इसी दलाली के कार्यों से इक_ा करके अपने पास रखे हुए है। जो लाइसेंस बनवाने वाले लोगों से मोटी रकम वसूली कर लंबे समय से इस कार्यालय में अंगद के पांव की तरह जमे हुए हैं। इतना ही नहीं बल्कि कुछ आरटीओ दलाल तो ऐसे हैं जो अपने आप को किसी न किसी राजनेता का गरीबी बताकर अधिकारियों का स्थानांतरण एवं पदोन्नति का भी दंभ भरते हैं ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आरटीओ कार्यालय में दलाली करने वाले लोगों की पकड़ कितनी अधिक है । किंतु दुख का विषय है यह कि आम लोगों की सुविधा के लिए ना तो शासन सामने आता है और ना ही प्रशासन। नतीजा अधिकारियों एवं दलालों के बीच उपभोक्ता पीसे जा रहे हैं।