मथुरा, २५ दिसम्बर ।
सेना की कैंटीन के खाते से 1.83 करोड़ रुपये उड़ाने वाला जालसाज क्लर्क मंगलवार को पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसके कब्जे से 1.66 करोड़ रुपये पुलिस ने बरामद कर लिए। वह अपने साथ बैग में इतनी बड़ी रकम लेकर घूम रहा था। पुलिस धोखाधड़ी में उसके माता-पिता, पत्नी और चचेरे भाई के संलिप्त होने के कारण पहले ही जेल भेज चुकी है। पत्नी के खाते में भेजे गए 17 लाख रुपये भी पहले फ्रीज कराए जा चुके हैं। वह परिजनों की जमानत के लिए मथुरा आया था, तभी पुलिस ने पकड़ लिया।सेना की 7001 ईएमई की री-यूनिट में कैंटीन है। इसमें दिसंबर 2023 से रोहतक के लालबहादुर शास्त्री नगर निवासी दीपक कुमार क्लर्क के रूप में तैनात था। दीपक के मन में कैंटीन का पैसा हड़पने का लालच आया। उसने चार नवंबर से 30 नवंबर के बीच चेक के जरिए सात बार में अपने और पत्नी मोनिका के खाते में 1.83 लाख से अधिक रकम ट्रांसफर करा ली। कई दिन वह कैंटीन नहीं आया तब चार दिसंबर को सदर थाने में दीपक और पत्नी के विरुद्ध सेना के कैप्टन पंकज यादव ने सदर थाने में धोखाधड़ी और रुपये गबन की रिपोर्ट लिखाई। छह दिसंबर को पत्नी मोनिका को गिरफ्तार कर लिया, मोनिका के खाते में पड़े 17 लाख रुपये फ्रीज कराए गए। पूरे खेल में दीपक की मां शीला देवी, पिता करतार सिंह, चचेरे भाई संदीप की भूमिका भी पाई गई।
11 दिसंबर को तीनों जेल में बंद मोनिका से मिलने आए तो उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय ने पुलिस ने काफी समय से दीपक की तलाश में दबिश दे रही थी। मंगलवार सुबह साढ़े छह बजे पुलिस को सूचना मिली कि बस से दीपक मथुरा आया है। यहां वह परिजनों की जमानत के प्रयास के लिए आ रहा था। पुलिस ने उसे जेल रोड पर ही औरंगाबाद में गिरफ्तार कर लिया। दीपक के पास एक बैग में एक करोड़ 66 लाख 62 हजार रुपये थे। उसने यह रुपये अपने खाते से निकाल लिए थे। एसएसपी ने बताया कि पुलिस लगातार दीपक और उसके रिश्तेदारों के घरों पर दबिश दे रही थी, ऐसे में दीपक बैग में अपने साथ ही रुपये रखता था।

एसएसपी ने टीम को 25 हजार रुपये के इनाम से पुरस्कृत करने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि उसने बैंक में सेना का फर्जी अथॉरिटी लेटर बनाकर लगाया था, जिसमें अपने हस्ताक्षर को मान्य किया, ताकि बैंक से रुपये निकालने में आसानी रहे। अपने परिजनों के साथ उसने रुपये गबन करने के बाद कहीं दूसरे स्थान पर रहने की योजना बनाई थी।सदर थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद एसएसपी ने दो टीमें मामले के राजफाश में लगाई। मामले की जांच कर रहे एसआई कमल किशोर टीम के साथ 15 दिन तक हरियाणा में रहे और आरोपी के खिलाफ साक्ष्य एकत्र किए। यहीं से पुलिस को सूचना मिली कि दीपक परिजनों की जमानत के लिए दौड़ रहा है।