जांजगीर-चांपा। देवी मंदिरों में शारदीय नवरात्र की तैयारियां पूरी हो गई है। मंदिरों और पंडालों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। रविवार से अंचल में देवी की पूजा शुरू हो जाएगी। देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलन के साथ और भव्य और आकर्षक पंडालों में माता की प्रतिमा विराजित किए जाएंगे। पूरे नौ दिनों तक अंचल में जसगीत की धूम होगी।मां दुर्गा शक्ति की नवरात्र में मां के नौ रूपों की आराधना की जाती है। मंगल कामना के लिए देवी मंदिरों में ज्योति कलश प्रज्जवलित कराए जाते हैं। भक्तों द्वारा जसगीत गाकर शक्ति के विभिन्ना रूपों का गायन किया जाता है। रविवार से प्रसिद्ध देवी मंदिरों में आस्था के दीप जगमगाएंगे।
चंद्रपुर की चंद्रहासिनी मंदिर में पर्व की गहमा – गहमी शुरू हो गई है। यहां हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित किया जाएगा। अड़भार की अष्टभुजी मंदिर में सुबह से विधि-विधान से पूजा शुरू हो जाएगी। यहां भी मनोकामना ज्योति कलश जलाने की तैयारी की गई है। इसी तरह खोखरा के मां मनका माई मंदिर में भी मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित किया जाएगा। पूरे नौ दिनों तक मनका दाई की पूजा – अर्चना के साथ ही जसगीत प्रतियोगिता और मेला का आयोजन किया जाएगा। चांपा केप्रसिद्ध सम्लेश्वरी मंदिर में भी नवरात्रि की तैयारी पूरी हो चुकी है। नौ दिनों तक यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा। जांजगीर की देवी दाई मंदिर, केरा की चंडी दाई मंदिर में भी मनोकामना ज्योति कलश के साथ नौ दिनों तक देवी की पूजा की जाएगी। मेंहदा की आदिशक्ति मां मौली दाई मंदिर में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित होंगे। महामाया हरदी (जर्वे) में जवा कलश स्थापना के साथ मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित होगी। यहां ज्योतिकलश प्रज्जवलित कराने वालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। महामाया मंदिर में सप्तमी को महानिशा पूजा काल रात्रि देवी दर्शन के साथ होगी। इसी प्रकार मदनपुरगढ़ की मनका माई, खम्भदेवश्वरी, सरई श्रृंगारिणी, सलखन में चण्डी दाई, किरारी के महामाया मंदिर, महंत के चण्डी मंदिर, घिवरा की डोकरी दाईमंदिर सहित अंचल के सभी देवी मंदिरों में आस्था के दीप जगमगाएंगे। वहीं गांव से लेकर शहर के चौक चौराहों में बनाए गए भव्य पंडालोंमेंमाता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाएगी। नवरात्रि में दुर्गा माता के नौ रूपों की पूजा होती है। माता अपने पहले रूप में पर्वत राज हिमालय के यहां जन्म होने के कारण शैल पुत्री के नाम से जानी जाती है। द्वितीय ब्रम्हचारिणी, तृतीय चंद्रघंटा, चतुर्थ कुष्माण्डा, पंचम स्कंदमाता, षष्ठम कात्यायनी, सप्तम कालरात्रि, अष्टम महागौरी, नवम सिद्घीदात्री के रूप में मां की पूजा होती है।
शिरीषपाठ में होगी नवरात्र की पूजा
पामगढ़। मां शिरीष पाठ डोंगाकोहरौद में हरे भरे खेतों के मध्य में स्थित है। नवजागरण शिरीष कल्याण सेवा समिति द्वारा किसानों से दान लेकर पहुंच मार्ग व माता के साथ अनेक मंदिरों का निर्माण किया जा चुका है। यहां नवरात्र की दोनों पर्वों में भक्तों द्वारा बड़ी संख्या में मनोकामना ज्योति कलश, ज्वारा ज्योति कलश जलवाए जाते हैं। इस नवरात्र में भी समिति द्वारा भक्तों के लिए व्यापक व्यवस्था की गई हैं। यहां काली चुड़ी के साथ फीता शिरीष पेड़ में चढ़ाने की परंपरा पुरातन समय से चली आ रही है, वहीं भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने के कारण प्रतिदिन स्थानीय सहित दूर दराज से भक्तजनों का आना जाना लगा रहता है।