पुलिस विभाग का हाल
कोरबा। सरकार की तबादला नीति चाहे जो हो लेकिन कोरबा जिले में पुलिस विभाग के कर्मियों को कुछ अलग ही हिसाब से यहां से वहां भेजने का सिलसिला पिछले कुछ महीनों से जारी है। इस प्रकार के प्रयोग थानों में कम चौकियों में ज्यादा किए जा रहे हैं। इससे प्रभारी और निचले कर्मी परेशान हैं।
हाल में ही कुछ चौकी और थानों के स्टाफ को बदल दिया गया। वह भी महज कुछ ही दिनों के भीतर। औसत दो से तीन महीने के भीतर ही इस प्रकार की कवायद कोरबा जिले में पुलिस विभाग में की जा रही है। इसके निहितार्थों को स्थानांतरित वर्ग खुद समझ नहीं पा रहा है। उनका कहना है कि किसी भी नए क्षेत्र में पोस्टिंग के साथ वहां के बारे में समझ विकसित करने के लिए पर्याप्त समय जरूरी होता है। रिमोर्ट एरिया में समस्याएं ज्यादा होती है। इस तरह की प्रक्रिया में उलझने के बीच ही उन्हें पता चलता है कि उन्हें यहां से हटाकर दूसरी जगह भेज दिया गया है। यही सबकुछ परिपाटी बने होने से अब कर्मियों को हमेशा बोरिया बिस्तर समेट कर रखने की मानसिकता बनानी पड़ रही है कि मौजूदा पदस्थापना में उन्हें कब तक रहना है। कई कर्मी यह भी मानते हैं कि अब कामकाज का तरीका एमआर जैसा हो गया है।