सीरिया, 0९ दिसम्बर ।
सीरिया में 20 साल तक शासन करने वाले बशर अल-असद का शासन खत्म हो चुका है। 13 दिन के अंदर विद्रोही बलों ने अलेप्पो से लेकर हमा तक एक के बाद एक शहरों पर कब्जा किया और फिर राजधानी दमिश्क पर धावा बोल दिया। विद्रोहियों का यह अभियान कितना बड़ा था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार-रविवार के बीच दमिश्क घेरने के बाद उसने दोपहर तक राजधानी पर कब्जा भी कर लिया। इसके बाद सीरियाई सेना के पास नेतृत्व की भारी कमी दिखी और उसके कई सैनिक बॉर्डर पार कर पड़ोसी देशों में शरण के लिए पहुंचने लगे। इस तरह विद्रोही बलों ने असद परिवार की 50 साल की सत्ता छीन ली। विद्रोही संगठन हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में विद्रोही संगठनों के दमिश्क पहुंचने के बाद सबकी जुबान पर एक ही सवाल रहा- आखिर बशर अल-असद हैं कहां। रविवार सुबह रूस की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि असर किसी सुरक्षित ठिकाने की तरफ जा चुके हैं। हालांकि, सोशल मीडिया पर उनके विमान पर हमले की खबरें भी तेजी से वायरल हुईं। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि उनका प्लेन क्रैश हो गया और असद की मौत से जुड़ी चर्चाएं भी सामने आईं। इस बीच रूस ने इन सभी अफवाहों पर लगाम लगाते हुए साफ किया कि असद और उनके परिवार को उसने शरण दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रूस ने गुपचुप तरीके से असद को कैसे निकाला। सीरियाई राष्ट्रपति ने सत्ता छोडऩे से पहले रूस को ही क्यों चुना। सीरिया में आखिर पश्चिमी देशों की क्या दिलचस्पी है। रूस और ईरान के लिए बशर अल-असद के सीरिया की सत्ता से हटने के क्या मायने हैं।