जांजगीर-चांपा। एक उपभोक्ता को उसके पुत्र के इलाज में हुए खर्चे को देने से हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने इंकार कर दिया, तब उक्त उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग जांजगीर में वाद प्रस्तुत किया, जिस पर सुनवाई के बाद आयोग ने संबंधित कंपनी को इलाज की पूरी राशि 7 लाख 26 हजार 720 रूपए तथा मानसिक कष्ट के लिए 20 हजार रूपए व वाद व्यय पांच हजार रूपए सहित देने का आदेश दिया है।
जानकारी के अनुसार, चांपा निवासी उपभोक्ता/शिकायतकर्ता योगेश अग्रवाल ने नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से 15 मार्च 2023 से 14 मार्च 2024 तक के लिए फैमिली फ्लोटर बीमा अपने व अपने परिवार के लिए लिया था। बीमा अवधि के दौरान ही उपभोक्ता(शिकायतकर्ता)के पुत्र सार्थक को ब्रेन ट्यूमर हो गया, तब उपभोक्ता/शिकायतकर्ता ने अपने पुत्र का इलाज मुंबई में कराया। इसके बाद उपभोक्ता शिकायतकर्ता ने अपने पुत्र के इलाज में लगे सात लाख 26 हजार
जला उपभोक्ता विवाद प्रक्रिया 720 रुपए की मांग नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से की परंतु, कंपनी ने इलाज में लगे खर्च को इस आधार पर देने से इंकार कर दिया कि अंतिम ब्रेक अप बिल नहीं दिया गया है। ऐसे में उपभोक्ता/शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता आयोग जांजगीर के समक्ष परिवाद पेश कर अपने पुत्र के इलाज में लगे खर्च की राशि हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से दिलाए जाने की मांग की। जिला उपभोक्ता आयोग जांजगीर के अध्यक्ष प्रशांत कुंडू सदस्य विशाल तिवारी एवं सदस्य महिमा सिंह ने पेश दस्तावेजों तथा किए गए तर्कों का सूक्ष्मता से अध्ययन कर यह पाया कि नीवा चूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने उपभोक्ता/शिकायतकर्ता के पुत्र के इलाज में आए खर्च को न देकर सेवा में कमी की है। जिला आयोग ने नीवा यूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता/शिकायतकर्ता के पुत्र के इलाज में आए खर्च की राशि सात लाख 26 हजार 720 रूपए तथा मानसिक संताप के लिए 20 हजार रूपए व वाद का खर्च पांच हजार रूपए आदेश दिनांक से 45 दिनों के भीतर देने का आदेश दिया है।
नियत अवधि में आदेशित राशि नहीं देने पर आदेश दिनांक से भुगतान दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक व्याज देने का आदेश दिया गया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग जांजगीर ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत पेश परिवाद को स्वीकार कर उक्त आदेश पारित किया है।