कोरबा। भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के जिला सह संयोजक मो. न्याज नूर आरबी ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन अपर कलेक्टर को सौंपा है जिसमें उन्होंने जिले में धान उठाव संबंधी समस्याओं से अवगत कराते हुए इसे दुरूस्त कराए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि हाथी विचरण क्षेत्र एवं जंगलों से लगे इलाके में धान उपार्जन केंद्र खोलना एवं समय पर धान के उठाव में लापरवाही बरतने के कारण नाकाम रहने से चचिया धान खरीदी केंद्र के कर्मचारियों की जिंदगी महफूज नहीं लग रही, बीते बुधवार गुरुवार की दरम्यानी रात पुन: लोनर (झुंड से पृथक अकेला) हाथी उपार्जन केंद्र में घुस आया व दर्जनों बोरे धान को खाकर बर्बाद कर चला गया। धान की रखवाली में लगे कर्मचारियों ने दुबक कर किसी तरह अपनी जान बचाई। लचर परिवहन व्यवस्था, वन अमले की विफलता एवं असुरक्षित स्थल में 5 दिन में दूसरी बार हाथी की धमक से सहमे फड़ प्रभारी ने उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं को पत्र लिखकर उपार्जन केंद्र चचिया में तत्काल धान खरीदी बंद कर शेष किसानों का कोरकोमा में धान खरीदने की वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करने की मांग की है। साथ ही मार्कफेड से खरीदे गए धान का तत्काल उठाव एवं आगामी खरीफ वर्ष से धान उपार्जन केंद्र के लिए उपयुक्त सुरक्षित स्थल का चयन करने की बात कही है। श्री आरबी ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में आपके सुरक्षित हाथों में बागडोर पिछले माह गठित होकर ही सुशासन लाने त्वरित क्रियाकलाप से प्रतिबद्ध आमजन का हित व लाभ करने वाली आपकी संवेदनशील सरकार के सोच व लक्ष्य के विपरीत कार्य होने के कारण हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे उद्बोधन वाक्य चरितार्थ होता नही दिख रहा है। मार्कफेड विभाग की मुख्या एवं जिले में धान उठाव में अत्यंत देर होने के प्रथम जवाबदार, संवेदनशील केंद्र के प्रति डीएमओ श्रीमती जान्हवी जिल्हरे जी का बेतुका बयान चुटकी बजाते नही उठ जाती धान वाले लापरवाह व गलत बयानबाजी से राज्य सरकार की छवि धूमिल हो रही है। युवा नेता ने कहा कि जिला विपणन अधिकारी का न केवल राइस मिलरो पर नियंत्रण है न अपनी भाषा शैली पर। जिले के सबसे संवेदनशील धान उपार्जन केंद्र बन चुके चचिया में धान के उठाव की गति मंद होने संबंधी मीडिया के सवाल पर डीएमओ फिर आपा खो बैठीं। चिर परिचित अंदाज में डीएमओ जान्हवी जिल्हारे ने कहा कि चुटकी बजाते धान नहीं उठ जाती। डीएमओ ने समिति में धान खरीदी के कार्य मे तेजी आने धान की आवक बढऩे से जाम के हालात पर सहकारी संस्थाएं के समितियो को ही दोषी ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि समय रहते समितियां किसानों से धान खरीद लेती तो यह स्थिति निर्मित नहीं होती। संवेदनशील केंद्र के प्रति डीएमओ का यह बेतुका बयान और बौखलाहट यह बताने में काफी है कि मैडम से जिले की व्यवस्था नहीं संभल रही। आने वाले वक्त में मार्कफेड को इस दिशा में गंभीरता से पहल करनी चाहिए। जिले में खराब मौसम के बीच जाम पड़े करोड़ों रुपए के धान के उठाव के प्रति डीएमओ की सक्रियता नजर नहीं आ रही है। सिर्फ डीओ जारी कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर रही है। केंद्रों में राइस मिलरो से मिलीभगत कर अमानक स्तर के कटे फटे बारदानो की धान खरीदी के लिए आपूर्ति करवा रही है। सहकारिता संयोजक ने ध्यानाकर्षण कराया है कि वर्तमान में धान उपार्जन केन्द्रों में बफर लिमिट 3 से 4 गुना ज्यादा बढ़ा हुआ है। जिले के 65 धान उपार्जन केन्द्रों में लगभग सभी केंद्रों में लिमिट से ज्यादा धान का स्टॉक आज पर्यंत मार्कफेड के मुख्या की घनघोर लापरवाही भ्रष्टाचार की भेंट चढऩे को मजबूर है। शुक्रवार देर शाम की सरकारी आंकड़े के हिसाब से उदाहरण स्वरूप करतला विकासखंड के बरपाली उपार्जन केंद्र में 6000 क्विंटल धान से 4 गुना 24000 क्विंटल धान बारिश में सडऩे के लिए छोड़ा गया है। इसी तरह का हाल सभी उपार्जन केन्द्रों में मौजूद है। जबकि जिले में 103 रजिस्टर्ड राइस मिल हैं। जिले के मार्कफेड से जुड़े अन्य विभागों के सभी वरिष्ठ अधिकारियों के न ही आदेशों का पालन कर रही न ही शासन के नीति निर्देशों का पालन करने में रुचि ले रही हैं, जिसका कारण जिले में प्रथम दफे इस प्रकार की विकराल स्थिति उत्पन्न हुई है। राइस मिलरों का पक्ष लेते हुए कोरबा जिले में अब तक मात्र 67फीसदी ही धान का उठाव अब तक करवा पाई है। जबकि दूसरे जिलों में 80से 90 प्रतिशत तक धान का उठाव हो चुका है। डीएमओ मैडम को यह समझने व उसके हिसाब से कार्य करने की जरूरत है कि सहकारी संस्थाएं शासन के ही हैं न कि किसी निजी संस्था की, तभी तो शासन के निर्देशों का पालन करने में कोताही बरत सारे सिस्टम को गड़बड़ाया जा रहा है एवं अपने निजी उद्देश्यों की पूर्ति की जा रही है। डीएमओ का पूर्व कार्यकाल भी लगातार सवाल उठाने पर विवश करते रहें हैं। अपने पूर्व के कार्यकाल में जिले में खाद की अभूतपूर्व किल्लत का भी अनूखा कारनामा करने वालों में इनका नाम आता है। ने मांग कर कहा कि आपको भेजे जा रहे इस पत्र के साथ संलग्न पत्र में फड़ प्रभारी ने जिला प्रशासन को दिए पत्र में उल्लेख किया है कि वनांचल धान खरीदी (उपार्जन) केंद्र चचिया में शासन प्रशासन की मंशानुरूप, दिशा निर्देशानुरूप समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य सुचारु रूप से जारी है। लेकिन घने जंगलों हाथियों के विचरण क्षेत्र के बीच अवस्थित उपार्जन केंद्र का स्थल सुचारू रूप से धान खरीदी के लिए अनुपयुक्त साबित हो रहा है। हाथी से धान की बर्बादी की सूचना के बाद भी मार्कफेड जिला विपणन अधिकारी राईस मिलरों से धान का समय पर प्राथमिकता से उठाव करने में विफल रहीं। कोई उच्च अधिकारी भी मौके पर सुध लेने नहीं पहुंचे। 90 फीसदी से अधिक किसानों का धान खरीदा जा चुका है, अत: ऐसी विकट स्थिति में जंगल, हाथी विचरण क्षेत्र से लगे इस केंद्र में तत्काल धान खरीदी का कार्य बंद कर शेष बचे किसान का धान उपार्जन केंद्र कोरकोमा से खरीदी कराने की व्यवस्था करने का कष्ट करें। आगामी वित्तीय वर्ष से धान उपार्जन केंद्र के लिए उपयुक्त सुरक्षित स्थल का चयन किया जाए। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव होने के अनुसार इस सप्ताह अभी बदली और बारिश की संभावना जताई गई है। मौसम का मिजाज जब तक ठीक नहीं हो जाता तब तक सहकारी समितियां धान की खरीदी नहीं करेगी। शुक्रवार को भी मौसम ठीक होने के आसार नहीं हैं, जिसके तहत संभवत: आज भी अधिकांश केंद्रों पर खरीदी बंद रहेगी। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। हालांकि हमे सुशासन गढऩे वाली आपकी संवेदनशील सरकार पर पूरा भरोसा है कि किसानों, सहकारी संस्थाओं समेत सरकारी नियमों के साथ जो अन्याय करेगा उसे आप कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे और जिला कोरबा में इस लापरवाही व कार्य में घनघोर लापरवाही की जांच करवा कड़ी कार्यवाही करेंगे ऐसा आपसे विनम्र आग्रह है। साथ ही मार्कफेड के डीएमओ श्रीमती जान्हवी जिल्हरे पर कड़ी कार्यवाही कर स्थिति सुधारने हेतु त्वरित तबादला कर ईमानदार, जिम्मेदार अधिकारी से जिले में धान उपार्जन केन्द्रों में व्याप्त समस्याओं को सुधारने के आदेश सह व्यवस्था देने की कृपा करें जिससे कि फड़ में रखे धान का तत्काल उठाव करें, ताकि शासन के संपत्ति की बर्बादी न हो साथ ही किसानों के साथ इसकी रखवाली करते करते कोई अप्रिय घटना घटित न हो, जिसके कारण सुशासन की तरफ अपने लक्ष्य की ओर सरकार को बढऩे में दिक्कत न हो।