
नईदिल्ली। कानूनी प्रविधानों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नियमों की अनदेखी करने वाले चिकित्सा महाविद्यालयों के खिलाफ प्रत्येक नियम के उल्लंघन पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। चिकित्सा शिक्षा एवं इस पेशे के सर्वोच्च नियामक संस्थान की ओर से अधिसूचित नए नियमों में इसकी जानकारी दी गई है। मरीजों के रिकार्ड सहित गलत घोषणा/दस्तावेज/अभिलेख प्रस्तुत करने वाले संकाय/ विभागाध्यक्ष /डीन/निदेशक/ डाक्टर पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। नियमों में कहा गया है कि उन पर रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (पेशेवर आचरण) नियमन और चिकित्सा शिक्षा मानकों के रखरखाव नियमन, 2023 के तहत कदाचार के लिए भी आरोप लगाया जा सकता है या दंडित किया जा सकता है। नए नियमों को 27 सितंबर को अधिसूचित किया गया है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई मेडिकल कालेज एनएमसी के संबंधित बोर्ड द्वारा निर्धारित वैधानिक प्रविधानों और नियमों का पालन करने में विफल रहता है, तो आयोग पांच शैक्षणिक वर्षों के लिए उसकी मान्यता रोक सकता है और वापस भी ले सकता है। किसी व्यक्ति या एजेंसी के माध्यम से अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल एग्जामिनेशन बोर्ड पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड या एनएमसी पर दबाव डालने का कोई भी प्रयास किए जाने पर चिकित्सा संस्थान के सभी आवेदनों को तत्काल रोक दिया जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम के समग्र उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, संबंधित बोर्ड यह सत्यापित करने के लिए वार्षिक रिपोर्ट का मूल्यांकन कर सकता है। कि मेडिकल कालेज या चिकित्सा संस्थान न्यूनतम आवश्यकता मानक के माध्यम से निर्धारित आवश्यक शर्तों को पूरा करते हैं या नहीं।