कोरबा। कोल इंडिया के विभागीय चिकित्सालयों में पर्याप्त दवाएं (मेडिसिन) उपलब्ध नहीं होने की वजह से बाहर से कर्मियों को बाहर से खरीदना पड़ रहा है। इसका रिंबर्समेंट पूर्ण रूप से भुगतान नहीं किए जाने कर्मचारियों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है।
साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्डस लिमिटेड (एसईसीेएल) समेत कोल इंडिया लिमिट़ेड से संबद्ध कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए विभागीय तौर पर अस्पताल बनाया गया है। इन अस्पतालों में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की जिम्मेदारी प्रबंधन की है, पर कई अस्पताल में दवाओं की कमी बनी रहती है। इस संबंध में अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ (बीएमएस) के अध्यक्ष व कोल इंडिया कल्याण मंडल के सदस्य टिकेश्वर सिंह राठौर ने सीआइएल चेयरमैन को पत्र लिख दवा की उपलब्धता कराने कहा है। उन्होंने कहा कि सीआइएल की विभिन्न सहायक कंपनियों के अस्पतालों के निरीक्षण के दौरान दवाईयां- औषधि की कमी मिली है। अधिकांश कंपनियों के पास दवाईयों औषधि की खरीद के लिए कोई वर्तमान दर अनुबंध नहीं था।
राठौर ने कहा कि जैम पोर्टल से दवा खरीदने का प्रक्रिया बहुत अच्छा नहीं है। दवा की आपूर्ति के लिए चार पीएसयु फार्मास्यूटिकल पंजीकृत है, लेकिन दवा की आपूर्ति के लिए आदेश देने के बाद भी अधिकांश समय में दवा की आपूर्ति करने में विफल रहते हैं। उन्होंने कहा कि रेट कांट्रैक्ट के माध्यम से खरीदी प्रक्रिया बहुत आसान है और जैम पोर्टल से कई गुना सस्ती भी है।
उन्होंने कहा कि रेट कांट्रैक्ट की वैधता कम से कम दो वर्ष या अधिकतम तीन वर्ष होनी चाहिए, इसे यथाशीघ्र शुरू किया जाना चाहिए। नई आरसी को अंतिम रूप दिए जाने के तुरंत बाद, अगली आरसी की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। दवा खरीद के लिए केंद्रीकृत रेट कांट्रैक्ट होना चाहिए और यह भी सहायक कंपनियों के लिए मान्य होना चाहिए।