
कोरबा। ओजोन दिवस के मद्देनजर सोशल अवेयरनेस फैलाने के मकसद से आईपीएस दीपका के विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न प्रकार से जागरुकता फैलाने का प्रयास किया गया। बच्चों को महत्वपूर्ण जानकारियों से रूबरू करवाते हुए विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी विद्यार्थियों से चर्चा की। इस दौरान बच्चों ने जाना कि कुदरत ने मां प्रकृति को निमित्त बनाकर मानव जीवन को व्यवस्थित व सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रत्येक का पोषण हेतु व जीवन जीने योग्य अनुकूल वातावरण बनाये रखने के लिये पंच तत्वों (जल अग्नि पृथ्वी वायु आकाश) के माध्यम से नि:शुल्क व निस्वार्थ भावना से मानव के साथ साथ अन्य प्राणियों व वनस्पतियों की सेवा करती है व बदले में हम प्राणियों से किसी भी तरह की वसूली नहीं करते कुदरत द्वारा प्रदत्त सर्व संसाधन नि:शुल्क होते हैं, साथ ही अन्य जीवों के तुलना में मनुष्यों को विवेक अर्थात बुद्धि से नवाजा है जिससे कि हम सहीं गलत की पहचान कर सकें व सहीं रास्ते पर चल सके पर मनुष्य के लोभ- लालच महत्वाकांक्षाओं, कामनाओं, आवश्यकताओं के वशीभूत होकर मनुस्य निरंतर अपनी स्वार्थ पूर्ति हेतु प्रकृति का दोहन कर प्रकृति को नुकसान पहुंचाता ही रहा यहां तक कि उसे यह ज्ञात होने के बावजूद की धरा पर संसाधनो की भी एक सीमा है उसके बावजूद भी स्वार्थी भाव से अगली पीढ़ी का ख्याल किये बिना अगली पीढ़ी के लिये उपयोग हेतु कुछ छोडऩे की भावना मन मे नहीं रखे व हर तरह से प्रकृति को नुकसान पहुंचाते रहे चाहे वह कभी पेड़ काटकर कभी गाडिय़ों द्वारा तेलों का दोहन कर कभी कोयले का दोहन कर कभी कुछ तो कभी कुछ हर तरफ से जल, भूमि, वायु प्रदूषण करते रहे उसमे से एक है कॉर्बन मोनो ऑक्साइड के द्वारा होने वाली नुकसान के फलस्वरूप ओजोन लेयर में छिद्र होना दरलसल सूर्य के रोशनी से पेड़ पौधों के साथ साथ प्राणियों को भी विभिन्न तरह के फायदे होते हैं पर जिस तरह चाय को छानकर पिया जाता है जिसके लिये चायछन्नी की आवश्यकता होती है अगर चाय की छन्नी में एक बड़ा सा छिद्र हो जाये तो चाय में चाय की पत्तियां भी आ जाएंगी बिल्कुल उसी प्रकार सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा में उसकी पराबैंगनी किरणे भी होती है जिससे कि जब वह सीधे धरती पर पहुंचती है तो प्राणियों तथा वनस्पतियों पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगती है जिसके लिए मां प्रकृति ने एक व्यवस्था की है।