जांजगीर । जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक का 70 लाख रुपए की लागत से आठ 10 पूर्व निर्मित भवन लोकार्पण के पूर्व ही खंडहर होने के कगार पर है। सुविधायुक्त भवन होने के बाद भी बैंक का कामकाज तीन कमरे के खस्ताहाल और जर्जर भवन में चल रहा है। भवन निर्माण के सालों बाद भी इसका लोकार्पण नहीं हो सका है। इसके लिए न तो जिला प्रशासन के द्वारा कोई ध्यान दिया जा रहा है और न ही बैंक के अधिकारी कोई पहल कर रहे हैं। जिले के किसानों को कोआपरेटिव बैंक में लेनदेन करने में परेशानी आम बात है। सुविधायुक्त भवन के अभाव में टीन के शेड के नीचे लाइन लगाकर ग्राहक लेनदेन करते हैं। जिला सहकारी बैंक में खाताधारकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बैंक प्रबंधन द्वारा परिसर के पास ही 10 साल पहले 50 लाख रुपए की स्वीकृति मिली थी। लेकिन भवन को 70 लाख रुपए की लागत से दो से तीन मंजिला बनाया दिया। इसके कारण इसकी लागत 20 लाख रुपए और बढ़ गई। जबकि इसके लिए ने तो किसी प्रकार की राशि स्वीकृत हुई थी और न ही निर्माण के लिए किसी प्रकार की कोई अनुमति नहीं ली गई थी। 20 लाख रुपए का भुगतान नहीं होने पर ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। इसके चलते भवन निर्माण का लोकार्पण नहीं हो सका। ऐसे में लाखों रुपए की लागत से निर्मित भवन खंडहर होने हो रहा है। उधर लोकार्पण के अभाव में जिला सहकारी बैंक पुराने और जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। यहां काम करने वाले कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर काम काज करते हैं। भवन पुराना और जर्जर होने के चलते कभी भी भरभराकर गिर सकता है। नोडल कार्यालय भवन जनपद पंचायत नवागढ़ का भवन है। जिसे उधार के तौर पर संचालित किया जा रहा है। नोडल आफिस का भी खुद का भवन नहीं है। इसके चलते यह भवन भी विवादों में चल रहा है। यहां भी कुछ लोगों के द्वारा अनाधिकृत तौर पर अपना आफिस संचालित कर रहे हैं। जो विवादों में है। जबकि नोडल आफिस द्वारा बतौर किराए के रूप में जनपद पंचायत नवागढ़ को किराया पटाया जा रहा है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में कुछ तकनीकी खामियां है। इसके चलते हैंडओवर नहीं हो पाया है। इसके लिए जरूरी पहल की जा रही है। -रेशम लाल तिवारी नोडल अधिकारी