सिरदर्द बढ़ाया तकादों ने
कोरबा। उन हटकलों पर विराम लगता दिख रहा है जिनमें कहा जा रहा था कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जनवरी में हो सकते हैं। इधर 15वें वित्त से लेकर मूलभूत और समग्र विकास से जुड़े कार्यों का भुगतान प्राप्त करने में पंचायतों को दिन में तारे नजर आ रहे हैं। वजह बताई जा रही है कि आर्थिक मनमानी और लापरवाही के चक्कर में जिले के कई पंचायतों का रिकार्ड खराब है। इसके फेर में अच्छे खासे प्रदर्शन करने वाली पंचायतों का भुगतान भी अटक गया है।
अधिकारियों को लगता है कि हड़बड़ी में पंचायतों को भुगतान जारी कर दिया जाता है तो वे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आचार संहिता के प्रभावशील होने के पहले और ज्यादा मनमानी कर सकती हैं। अधिकारियों का अनुभव पहले ही इस प्रकार के मामलों में बहुत अच्छा नहीं रहा है। नतीजन बाद में रिकव्हरी जैसी कार्यवाही की गई और पंचायतों को नोटिस जारी किए गए। कुछ मामलों में संबंधितों को संसाधन और संपत्ति को यहां-वहां इंगेज कर राशि की भरपाई करनी पड़ी जबकि कुछ प्रकरणों में पेंच तब फंस गया जब गड़बड़ी करने वाले स्वर्गवासी हो गए। सूत्रों ने बताया कि जिले की 402 ग्राम पंचायतों में खराब रिकार्ड वाली पंचायतों की संख्या सैकड़ों में है। उन्होंने या तो बिना काम कराए सरकारी राशि डकार ली अथवा स्तरहीन काम कर राशि की बंदरबांट कर ली। ऐसी पंचायतों को सी ग्रेड में शामिल किया गया है। खासतौर पर डीएमएफ के मामले में वे आगे कोई उम्मीद नहीं रखेंगी। इन सबसे अलग हटकर जमीन पर काम करने वाली पंचायतें इस बात से परेशान हैं कि उन्हें अपने काम का भुगतान आखिर क्यों नहीं किया जा रहा है। काफी पापड़ बेलने के बाद डीएससी की प्रक्रिया पूरी हो गई। ऐसे में भुगतान हो जाना था। खबर है कि तमाम जतन करने पर कुछ पंचायतों के खाते में राशि डाल दी गई है लेकिन उसका उपयोग करने के लिए अधिकारियों ने पेंच फंसा दिए हैं। ऐसे में तकादे करने वाले सरपंच के साथ-साथ सचिवों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।