जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय जांजगीर में साफ सफाई के नाम पर हर महीने लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद कचरे का निपटारा नहीं हो पा रहा है। यहां शहर के कचरों को इक_ा किया जा रहा है, लेकिन इन कचरों को कहां पर रखा जाए इसके लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी है।
गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में साफ सफाई पर विशेष जोर दिया जाना है। साथ ही साथ घरों से निकलने वाले कचरे को एक ही स्थान पर सुव्यवस्थित किया जाना है, इसके लिए पालिका प्रशासन की ओर से हर महीने लाखों रुपए खर्च तो कर दिए जा रहे हैं, बावजूद इसके समस्या जस की तस बनी हुई है।
वहीं पालिका द्वारा मिशन क्लीन सिटी के लिए कचरा प्रोसेसिंग प्लांट (एसएलआरएम) सेंटर तो बना दिया गया है लेकिन इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। लाइवलीहुड कॉलेज मार्ग में बनाया गया लाखों का एसएलआरएम सेंटर खंडहर की तरह पड़ा हुआ है। घरों से निकलने वाला कचरा प्लांट तक जा ही नहीं रहा है। ऐसे में शहर से निकलने वाले कचरा शांति नगर स्थित खाली मैदान में डंप किया जा रहा है। यहां इतनी ज्यादा मात्रा में कचरा डंप हो रहा है कि बगल में बना एसएलआरएम सेंटर ही कचरे के बीच में बना हुआ प्रतीक हो रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के दौरान श्रम कार्यालय के बगल में जो सरकारी जमीन है, उस जगह से काफी मात्रा में कचरा को हटा लिया गया था।
साथ ही साथ वहां से कचरा हटाकर उसे एक सुव्यवस्थित मैदान के रूप में तब्दील कर दिया गया था, लेकिन उसके बाद स्थिति फिर जो कि त्यों बन रही है। शहर से निकलने वाले कचरे को श्रम विभाग कार्यालय के पीछे जाकर फेंक दिया जा रहा है, जिसके कारण संक्रमण फैलने की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता। जबकि घरों से निकलने वाले सुख एवं गीले कचरे को अलग-अलग डिब्बों के माध्यम से उसे सुव्यवस्थित किया जाना है।
ताकि सूखे कचरे का उपयोग जहां खाद के रूप में वही गीले कचरे का उपयोग रिसाइकल कर और आगे काम के लायक जा सके, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह है कि जिला मुख्यालय में ही 4 कचरा कलेक्शन सेंटर बनाया जाना है, लेकिन इनमें से अब तक दो का ही निर्माण कार्य पूरा हो पाया। शांति नगर के लोगों का कहना है कि वार्ड-25 में खाली पड़े मैदान को कचरा डंपिंग यार्ड बना दिया गया है। शहर का कचरा हो या फिर मरे हुए जानवर, सब यहीं फेंके जा रहे हैं। जब कचरा बढ़ता है तो नगर पालिक के कर्मचारी उसमें आग लगा देते हैं। जिसके चलते बदबू और धुएं से लोग परेशान हैं। पालिका हर महीने सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च करती है, बावजूद इसके शहरी क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।