
नागपुर, 0२ दिसम्बर ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने परिवार के महत्व पर जोर देते हुए हिंदुओं का नाम लिए बगैर भारत में उनकी घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अगर समाज की जनसंख्या वृद्धि दर गिरते-गिरते 2.1 प्रतिशत के नीचे चली गई तो तब समाज को किसी को बर्बाद करने की जरूरत नहीं, वह अपने आप ही नष्ट हो जाएगा। इसलिए कम से कम तीन बच्चे पैदा करना बेहद जरूरी है।
नागपुर में कथाले कुल सम्मेलन को रविवार को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख भागवत ने कहा, कुटुंब (परिवार) समाज का हिस्सा है और हरेक कुटुंब इसकी इकाई है। हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास तय की गई थी, वो ये कहती है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। हमें दो से अधिक बच्चों की जरूरत है, यानी तीन (जनसंख्या वृद्धि दर के रूप में), जनसंख्या विज्ञान यही कहता है। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे (समाज को) जीवित रहना चाहिए। ध्यान रहे कि इसी साल भारत बढ़ती आबादी की लंबी छलांग लगाते हुए चीन को पछाड़ कर जनसंख्या में मामले में विश्व में अव्वल आ गया है। हालांकि भारत में बहुसंख्यक हिंदू पिछली जनगणना में 80 प्रतिशत थे, जो अब इस साल तक उनकी जनसंख्या वृद्धि दर घटने से देश में उनकी कुल आबादी घटकर 78.9 प्रतिशत ही रह गई है। जबकि हिंदू आबादी अब भी देश में करीब 1.094 अरब है। पूरे विश्व के 95 प्रतिशत हिंदू भारत में रहते हैं। जबकि देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर बढ़ी है। मोहन भागवत से पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी दो से अधिक बच्चा पैदा करने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों को ज्यादा बच्चा पैदा करने की जरूरत है। दक्षिण में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। गांव खाली हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश की सरकार दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले परिवारों को प्रोत्साहन राशि देने पर भी विचार कर रही है। सरकार यह भी कानून बनाने की तैयारी में है कि दो से अधिक बच्चे वाले लोग ही स्थानीय निकाय का चुनाव लडऩे के योग्य होंगे। नायडू का कहना है कि गांवों से युवाओं के पलायन की वजह से समस्या और विकराल हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय प्रजनन दर 2.1 है। जबकि दक्षिण के राज्यों में 1.6 फीसदी है।