हर माता-पिता के लिए उनके बच्चे बहुत ही खास होते हैं जिस दिन वह पैदा होते हैं पेरेंट्स उसी समय उन्हें लेकर कई सपने देखना शुरु कर देते हैं। खासकर हर पेरेंट्स यही चाहते हैं कि बड़े होकर उनके बच्चे एक अच्छे व्यक्ति बनें। परंतु आजकल वर्किंग पेरेंट्स के पास इतना समय नहीं होता कि वह अपने बच्चों के साथ बिता पाएं। इसके अलावा काम के स्ट्रेस के चलते वह अपने बच्चों से ऊंची आवाज में बात करने लग जाते हैं जिसके कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है। यह बात बहुत कम पेरेंट्स जानते हैं कि बच्चों से ऊंची आवाज में बात करने से उन्हें कई समस्याएं हो सकती हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर चिल्लाने की ही आदत पड़ जाती है जिसका बच्चों पर बहुत ही गहरा असर होता है। इसके कारण बच्चों में आत्मसम्मान की कमी होने लगती है। इसके कारण बच्चे अकेलेपन भी महसूस होने लगता है। ऐसे बच्चे अपने दिल की बात भी खुलकर किसी के साथ नहीं कर पाते। अगर आप भी अपने बच्चों पर चिल्लाते हैं तो अभी से इस आदत को सुधार लें। माता-पिता के बार-बार चिल्लाने के कारण बच्चे बदतमीज स्वभाव के होने लगते हैं। वह बार-बार उल्टी-सीधी हरकतें भी करने लगते हैं जिससे उनमें अनुशासन की कमी हो जाती है और वह बदतमीज बन जाते हैं। यदि आपका बच्चा शरारत करता है तो उसे बार-बार चिल्लाने की वजह आप एक बार उसे बैठकर समझाएं इससे वो आपकी बात भी समझेंगे। कुछ बच्चे शरारती स्वभाव के होते हैं जिसके कारण पेरेंट्स उन्हें समझाने की जगह उनपर चिल्लाने लगते हैं। पेरेंट्स के बार-बार गुस्सा करने के कारण बच्चे नेगेटिव स्वभाव के होने लग जाते हैं और उनके बिहेवियर में भी कई तरह के बदलाव आने लगते हैं। कई माता-पिता प्रेशर के कारण भी बच्चों पर चिड़चिड़े होने लगते हैं परंतु यह बात बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है इससे वह छोटी उम्र में ही एंग्जायटी का शिकार होने लगते हैं। इसके अलावा कुछ बच्चे तो डिप्रेशन में भी चले जाते हैं। ऐसे में यदि आप भी बार-बार अपने बच्चों पर चिल्लाते हैं तो अपनी आदत बदल लें। चिल्लाने की जगह उनसे प्यार से बात करने की कोशिश करें।