कोरबा। भारतीय सेना की शौर्य गथाएँ इतनी ज्यादा है कि उनके लिए शब्द कम पड़ जाते हैं । उसने जहाँ एक ओर अपने पराक्रम का लोहा मनवाया है वहीं दूसरी ओर संकट में फँसे लोगों को भी बचाया है । भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी और भारतीय राज्यों के सेना से हुआ जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणित हुई । भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंन्ट का विविध इतिहास रहा है । इसने दुनिया भर में कई लड़ाईयाँ लड़ी और अभियानों में हिस्सा लिया है तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में सम्मान अर्जित किया है ।
प्रथम कश्मीर युध्द 1947 में हुआ इसके बाद 1965 में दूसरा कश्मीर युध्द लड़ा गया । सन् 1999 में कारगिल युध्द में विजयी हासिल कर हमारी सेना ने अपने बहादुरी के परचम गाड़े हैं । सेना ने बहुत सारी नई तकनीक के जरिए काफी बुलंदी को छुआ है । भारतीय सैनिकों के शौर्य, साहस, पराक्रम एवं बलिदान की गथाएँ इतिहास में स्वर्णच्छारों में अंकित है । शौर्य और साहस के अतिरिक्त भारतीय सेना सैन्य धर्म एवं चरित्रगत आचरण के लिए भी जानी जाती है । सेना का अनुशासन सबको अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है ।
भारतीय सेना के विजयी दिवस के रूप में 26 जुलाई को प्रतिवर्ष कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन कारगिल की पहाडिय़ों पर पाकिस्तानी दुश्मनों को परास्त कर सेना ने भारतीय झंडा लहराया था । विजय दिवस के उपलक्ष्य में दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में एक विजय सभा का आयोजन किया गया और कारगिल युध्द में विजयी सैनिकों को अपने कला के माध्यम से सम्मानित किया गया और जो शहीद हुए उन्हे दिल से याद किया गया । कार्यक्रम में सबसे पहले शिक्षक श्री हेमलाल श्रीवास ने बच्चों को भारतीय सेना के पराक्रम एवं कारगिल युध्द पर किस तरह से सेना ने विजय पाया के बारे में बताया उसके बाद प्राथमिक कक्षा के बच्चों द्वारा सैनिकों के सम्मान में एक मधुर गीत की प्रस्तुति दी गई इसी क्रम में प्राथमिक कक्षा के बच्चों ने एक प्रेरणा नृत्य प्रस्तुत किया तथा कक्षा नवमीं एवं दसवीं के बच्चों ने कारगिल युध्द पर आधारित नृत्य नाटिका का मंचन किया जिसे देखकर सब भावविभोर हो उठे और भारत माता की जय ध्वनि से विद्यालय प्रांगण गुंजयमान हो उठा ।इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने भारतीय सेना के बारे में बताया कि भारतीय सेना की तैयारी ऐसी है कि दुश्मनों को संभलने का मौका भी नहीं देंगें । भारतीय सेना के जवान हजारों फुट की ऊँचाई पर अपनी हड्डियाँ गलाते हैं और दुश्मनों की हर हरकत पर पैनी निगाह रखते हैं । तब जाकर हम अपने शहरों गाँवों और घरों में सुरक्षित रह पाते हैं । इन शहादत को भारतीय नागरिक को याद रखने की जरूरत है, देश को आगे बढ़ाने में सैनिकों का बहुत बड़ा सहयोग होता है ।