
प्रतापपुर। शहर में नशीली दवाइयों के नियम विरुद्ध खरीद-बिक्री को लेकर पुलिस व प्रशासन सख्त हो गया है। 13 वर्ष के बच्चे को नशीली दवा बिक्री करने का राजफाश होने के बाद शहर के प्रतापपुर नाका स्थित मिश्रा मेडिकल स्टोर्स का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी व सहायक औषधि नियंत्रक रमिला भगत द्वारा की गई है। इस कार्रवाई के माध्यम से दवा दुकान संचालकों को यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि चिकित्सक की पर्ची और फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति बगैर नशीली दवाइयों की बिक्री की गई तो ऐसी ही कार्रवाई की जाएगी। दरअसल अंबिकापुर शहर में नशीली दवाइयों का चलन तेजी से बढ़ रहा है। खासकर युवा वर्ग इसकी चपेट में आ रहे हैं। इससे आपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिल रहा है। यही कारण है कि खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग के साथ मिलकर पुलिस ऐसे दवा दुकानों को चिन्हित कर छापेमारी कर रही है ताकि आसानी से नशीली दवाइयों की उपलब्धता आसानी से नहीं हो सके।मिश्रा मेडिकल स्टोर प्रतापपुर नाका द्वारा नारकोटिक दवाई को बिना वैध चिकित्सक की पर्ची के विक्रय करना पाया गया था। सरगुजा पुलिस द्वारा अवैध नशीले दवाइयों की खरीद बिक्री मे शामिल दवा दुकानों के विरुद्ध भविष्य में भी ऐसी ही कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि ऐसे अन्य मेडिकल दुकानों पर लगातार नजर रखी जा रही हैं जो अवैध रूप से नशीले दवाओं की खरीद- बिक्री मे संलिप्त हैं। मिश्रा मेडिकल स्टोर द्वारा नशीली दवा बिक्री करने की शिकायत लगातार सामने आ रही थी। ऐसे में योजनाबद्ध तरीके से संचालक को पकडऩे की योजना बनाई गई थी। 13 वर्ष के बच्चे को 100 रुपये देकर दुकान में भेजा गया था। वहां उपस्थित व्यक्ति ने बगैर किसी पूछताछ के प्रतिबंधित दवा 13 साल के बच्चे को उपलब्ध करा दिया था और नोट रख लिए थे। तब पुलिस व औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने छापा मार चिन्हित नोट को दुकान के काउंटर से बरामद किया था। प्रतिबंधित दवा का नाम, बैच नंबर को टेंपर किया गया था। नारकोटिक दवा के सम्बन्ध में कोई रजिस्टर संधारित होना नही पाया गया था। छापेमारी के बाद जारी नोटिस के जबाब में दवा दुकान संचालक ने अजीब जबाब दिया था। उसके अनुसार जो दवा मुखबिर से प्राप्त हुआ वह उनके दुकान के सामने सड़क पर गिरा पड़ा था। जिस पर उनके पिता की नजर पड़ी। वे दवा समझ कर उठा कर दुकान के काउन्टर पर रख दिए। उसी समय मुखबिर आया और अपने पिता के लिए नींद की दवा मांगने लगा। दुकान संचालक के अनुसार उसके पिता ने मना किया और कहा कि नारकोटिक दवा हमारी दुकान में नहीं मिलती है। मुखबिर की नजर काउंटर पर रखी दवा पर पड़ी और वह कहने लगा कि यही दवा है जो मेरे पिता रोज खाते है। तब दुकान संचालक के पिता द्वारा उसे दे दिया गया।
 
		

