
पटियाला। पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के कारण पंजाब की राजनीति में हमेशा से महत्वपूर्ण रही पटियाला की सीट पर इस बार मुद्दों से ज्यादा किसानी आंदोलन व पार्टियों के बीच चल रही अंतर्कलह भारी पड़ रही है। इस बार पटियाला में सभी राजनीतिक पार्टियोें को कड़ी अग्निपरीक्षा देनी होगी। एक तरफ यह सीट किसान आंदोलन की वजह से पूरे देश में चर्चा में है, दूसरा परनीत कौर के भाजपा में जाने के बाद बदली परिस्थितियों ने भी यहां की सियासी फिजा बदल दी है। पटियाला में घग्गर नहर की मार से होने वाला आर्थिक नुकसान हमेशा से ही एक बड़ा मुद्दा रहा है। हर बार सभी सियासी पार्टियां घग्गर की समस्या के स्थायी समाधान को दावे बहुत करती हैं, लेकिन काम कुछ नहीं हो पाता है। इसके अलावा सालों से लटक रहे 500 करोड़ की लागत वाले केनाल बेस्ड वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट, डेयरी शिफ्टिंग और 206 करोड़ के छोटी-बड़ी नदियों के मजबूतीकरण व सौंदर्यीकरण के प्रोजेक्ट भी प्रमुख मुद्दे हैं। बेरोजगारी दूर करने को इंडस्ट्री भी स्थापित नहीं की गई। लोग बेसब्री से इन प्रोजेक्टों के पूरा होने की बाट जोह रहे हैं, ताकि उनकी पीने के पानी की समस्या के साथ-साथ डेयरियों के गोबर से सीवरेज जाम की समस्या का अंत हो सके। पटियाला को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए माल रोड स्थित ऐतिहासिक राजिंदरा झील के सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में है, जबकि अब तक इस पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है, लेकिन पटियाला में इस बार के चुनाव में लोगों के यह मुद्दे कहीं खो गए लगते हैं। चुनाव पर शंभू व खनौरी बाॅर्डर पर चल रहा किसानी आंदोलन और पार्टियों के अंदर चल रहा आपसी क्लेश भारी पड़ता नजर आ रहा है। दरअसल, आंदोलनरत किसान जत्थेबंदियों ने एलान कर रखा है कि चुनाव प्रचार के लिए आने वाले भाजपा उम्मीदवारों से सवाल पूछे जाएंगे। अगर वह जवाब नहीं देंगे, तो फिर उन्हें घेर कर काले झंडे लेकर विरोध किया जाएगा। इसी एलान के तहत पटियाला में भाजपा उम्मीदवार परनीत कौर का अब तक कई हलकों में किसानों की ओर से विरोध किया जा चुका है। बीते दिनों विरोध के दौरान हुई धक्का-मुक्की में एक किसान की मौत तक हो गई थी। इस मामले ने काफी तूल पकड़ा और एक भाजपा नेता के खिलाफ केस तक दर्ज हो गया है। यही नहीं परनीत के चुनाव प्रचार से टकसाली भाजपाइयों ने भी लगातार दूरी बना रखी है। दरअसल, उनकी मांग थी कि किसी टकसाली भाजपा नेता को ही टिकट मिलनी चाहिए। ऐसे में पटियाला से चार बार सांसद रही परनीत कौर के लिए इस बार जीत की डगर आसान नहीं रहेगी। उन्हें दो तरफा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।



























