जांजगीर। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा विकासखंड पामगढ़ के मुड़पार में एक दिवसीय कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख डॉ राजीव दीक्षित ने िकसानों से रूबरू होते हुए धान की बुवाई की विधियों के बारे में जानकारी दी। बारिश की स्थिति को देखते हुए उन्नत खुर्रा बोनी को उचित बताया। उन्होंने बियासी पद्धति, रोपा पद्धति व कतार बोनी की विधियों की जानकारी दी।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आशीष प्रधान ने बीज उपचार के लाभ बताते हुए धान में लगने वाले विभिन्न रोग व उनके निदान की जानकारी दी। केंद्र के सस्य वैज्ञानिक शशिकांत सूर्यवंशी ने िकसानों को खरपतवार से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खरपतवार वह अवांछित पौधे हैं, जो फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करके 30 से 35त्न तक उत्पादन को प्रभावित करते हैं। धान की फसल में अंकुरण पूर्व प्रयोग किए जाने वाले खरपतवार नाशी की जानकारी व अंकुरण के बाद प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख खरपतवार नाशी की जानकारी व उनके उपयोग के बारे में िकसानों को जानकारी दी गई।कार्यक्रम के अंत में डॉ. राजीव दीक्षित ने खाद व खरपतवारनाशियों का प्रयोग एक साथ किया जाना या विभिन्न दवाओं को मिलाकर प्रयोग किए जाने पर क्या दुष्परिणाम हो सकते है, इससे किसानों को रूबरू कराया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संजय पटेल व संदीप जायसवाल ने अपनी प्रमुख भूमिका निभाई। विभिन्न गांव भदरा, जोगीडीपा, बारगाव व मुड़पार से आए लगभग 47 किसानों ने कृषि संबंधित जानकारी का लाभ उठाया।