कोरबा। पूर्वी व पश्चिमी घाट के बीच बसे कोरबा मैकल रेंज पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। यहां पर न केवल मध्य भारत की जैव विविधता पाई जाती है बल्कि कई प्रजातियां ऐसी भी हैं जो पूर्वी और पश्चिमी घाटों में मिलती है।
यह प्रजातियां यहां पर भी पाई जाती है. पुटका पहाड़ के किनारे केसला में बन रहे बायो डायवर्सिटी पार्क में हिमालय की तराई में पाई जाने वाली तितलियां भी मिली है। यहां तितलियों की 40 प्रजातियां है। इसके संरक्षण के लिए प्रयास करते हुए विभाग द्वारा बायोडायवर्सिटी पार्क बनाया जा रहा है। कोरबा के जंगल में जैव विविधता की कमी नहीं है। चैतुरगढ़, महादेव पहाड़, कोसगाई पहाड़ में तो कई जंगली जानवर घूमते रहते हैं। पिछले दोनों किंग कोबरा, ऊदबिलाव, अनेक प्रकार की छिपकलियां, हनी बैजर, मेंढक, पैंगोलिन और नको रहने लायक वातावरण देने के लिए अनेक वनस्पतियां भी पाई जाती है। यहां की पहाडिय़ों में तरी फर्न, साइथिया, सर्पगंधा, सफेद मूसली, कलिहारी, सलाई कुल्लू, गुड़मार, ईश्वर मूल, बलराज, तेजराज जैसे दुर्लभ औषधि पौधे भी पाए जाते हैं।
कोरबा डीएफओ अरविंद पीएम ने बताया कि इसके संरक्षण के लिए ही वन विभाग बायो डायवर्सिटी पार्क का निर्माण केसला में कर रहे हैं. यहां नदी तालाब और छोटे झरने भी हैं। सबसे बड़ी विशेषता इस क्षेत्र में पाई जाने वाली तितलियों की 40 प्रजातियों की है। जंगल में सुरक्षित होने पर संख्या और बढ़ेगी। आने वाले पर्यटकों के लिए यहां पैगोडा का भी निर्माण कराया गया है।
इन जीवों का है बसेरा
इस बायोडायवर्सिटी पार्क के क्षेत्र में जिन खास तितलियों की प्रजातियां पाई गई हैं. उसमें बार्न, बैरनेट, सुलेप्ड, नाविक, तावी कोस्टर, ग्रे काउंट, कैस्टर, ग्रेट लेओमन, पैंसी, ब्लू पैंसी, आम नाविक, कमांडर लेपर्ड, बुश ब्राउन, काउ प्लेन टाइगर, ग्रास यलो, डार्क ग्रास ब्लू, सिल्वर लाइन प्रजाति की तितलियां यहां मिलेंगी।
कोरबा डीएफओ अरविन्द पीएम ने बताया कि घना जंगल होने की वजह से क्षेत्र में जंगली जानवरों के अनेक प्रजातियां भी है। भालू, हिरण, खरगोश, लकड़बग्घा और सियार तो लोगों को नजर आते हैं। हाथी भी क्षेत्र में आते जाते रहते हैं और तेंदुआ भी पाया गया है।